ठाणे। साध्वी आणिमाश्रीजी एवं साध्वी श्री मंगलप्रज्ञाजी के सानिध्य में पर्युषण महापर्व का पांचवा दिन अणुव्रत चेतना दिवस के रूप में ठाणा तेरापंथ सभा भवन में विशाल जनमेदिनी की उपस्थिति में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
साध्वी आणिमाश्री ने अपने उद्बोधन में कहा प्राचीन भारत चरित्रसम्पन्न राष्ट्रों में शीर्षस्थ स्थान पर था। पूरे विश्व मे भारत की गौरव गाथा गाई जाती थी। आचार्य तुलसी ने सोचा निस्पृहता व नीति निष्ठा की कहानी अतीत का पृष्ठ व इतिहास की स्वर्णिम कहानी बनकर न रह जाए। वर्तमान में भी नीति निष्ठा जीवंत होनी चाहिए। अंधेरे में भी संयम व सादगी का दीप जलवाना चाहिए, इसलिय आ. तुलसी का सपना था कोई जैन बने या न बने किन्तु गुडमैन अवश्य बने। अणुव्रत गुडमैन बनाने की आचार संहिता है। अणुव्रत के संकल्पो को स्वीकार कर अणुव्रती बनने की दिशा में अग्रसर हो।
साध्वी मंगलप्रज्ञाजी ने अपने पाथेय में कहा समय की कीमत को आंके। जीवन के हर मूल्यवान क्षण का उपयोग करें। अपने भीतर झांके। चिंतन की स्वच्छता, विचारों की निर्मलता और व्यवहारों की मधुरता तथा सरलता है। सारे अशुभ संस्कारो को धो-मांजकर स्वच्छ बनाले। यही पर्युषण की सार्थकता है।
साध्वी सुधाप्रभाजी ने कहा अणुव्रत निर्मल दर्पण की तरह है। इसमें हम अपने आंतरिक व्यक्तित्व का दर्शन कर सकते है। अणुव्रत नैतिक क्रांति है, नैतिक ज्योति है, नैतिक प्रेरणा है। ग्यारह नियमो की विशाद चर्चा की।
साध्वी श्रीजी की प्रेरणा से पूरी परिषद ने अणुव्रत नियमों को स्वीकार किया। साध्वी ने महावीर के भवो का रोचक इतिवृत्त प्रस्तुत किया।
साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने मंच का प्रभावी संस्थापन किया। साध्वी स्मतव्यशाजी ने उपदेशामृत का पान कराया। ठाणे सिटी तेयुप अध्यक्ष ने भी अपने विचार रखे। काजोल , राशि, विश्वा, अंजली, जयश्री, जिनल, हिनल, कावेरी, रिया, वर्णिका, रुपाली, ममता, श्रद्धा, भामिनि, दर्शना, विनीता, रश्मि व अपूर्वा ने समधुर मंगल संगान किया।
लक्ष्मीलाल, रमेश सोनी, मनोहर कच्छारा, नवरत्न दुग्गड़, नरेश बाफना, विनोद बडाला, नवरत्न गोखरू, संजय दुग्गड़, विकास आच्छा ठाणे अणुव्रत समिति के कार्यकर्ताओं ने अणुव्रत अपनाए गीत का सुमधुर संगान किया।
जैन बने या न बने गुड़ मैन अवश्य बने – साध्वी आणिमाश्री
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