मुंबई। तेरापंथ भवन कांदिवली के प्रांगण में आठ दिवसीय पर्युषण पर्व के पांचवें दिन महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती आगम मनिषी प्रोफ़ेसर मुनि श्री महेंद्रकुमार जी एवं मुनिव्र्ंद ठाणा ५ के सान्निध्य में अणुव्रत चेतना दिवस मनाया। इस दौरान मुनि श्री अभिजीत कुमार जी ने कहा कि हमें सच बोलने के लिए साहस चाहिए । एक सत्य बोलने वाला व्यक्ति जीवन में हमेशा प्रगति करता है । जीवन आचार सहिंता चरित्र की पहचान हैं। अणुव्रती बनना हमारा नैतिक कर्तव्य हैं। धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री अजित कुमार जी ने कहा कि भगवान महावीर की अध्यात्म यात्रा को आगे बढ़ाते हुए भगवान महावीर ने दीक्षा महोत्सव किया।
मुनि श्री महेंद्रकुमार जी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अणुव्रत के तीन कार्य हैं। पहला व्यक्ति को चरित्रवान बनाना, दूसरा व्यवहार की शुद्धि करना तथा तीसरा धर्म समन्वय करना है। अणुव्रत के नियमों का पालन करके चरित्र निर्माण किया जा सकता है। श्रावक की पहली भूमिका है – सम्यक्त्व दीक्षा। उसके पश्चात व्रत दीक्षा स्वीकार की जाती है। व्रत-दीक्षा का अर्थ है असंयम से संयम की ओर प्रस्थान। एक गृहस्थ श्रावक पूरी तरह से संयमी नही हो सकता है। इसी दृष्टि से भगवान महावीर ने उसके लिए बारह व्रत रूप संयम धर्म का निरुपण किया। इन्ही व्रतों को सर्वग्राही बनाने के लिए आचार्य श्री तुलसी ने असाम्प्रदायिक धर्म के तौर पर अणुव्रत आंदोलन का सूत्रपात किया।
कांदीवली तेयुप अध्यक्ष अशोक कोठारी ने बताया कि लगभग 1700 श्रावक-श्राविकाओं ने प्रवचन का लाभ लिया। You Tube के Arham Power channel पर प्रवचन का लाइव प्रसारण की व्यवस्था भी की गई है ।
कांदिवली में पर्युषण के पांचवें दिन अणुव्रत चेतना दिवस का आयोजन
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