सोमवार, 2 सितंबर से गणेशोत्सव शुरू हो रहा है। इस दिन घर-घर में गणेशजी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इस साल ये पर्व 11 दिनों तक यानी गुरुवार, 12 सितंबर तक मनाया जाएगा। 12 सितंबर को गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा। गणेश पूजा में सबसे पहले गणेशजी का प्रतीक चिह्न स्वस्तिक बनाया जाता है। गणेशजी प्रथम पूज्य देव हैं, इस कारण पूजन की शुरुआत में स्वस्तिक बनाने की परंपरा है। स्वस्तिक बनाकर पूजा करने से सभी धर्म-कर्म सफल होते हैं और जिन मनोकामनाओं के लिए पूजा की जाती है, वे इच्छाएं भगवान पूरी करते हैं। स्वस्तिक का काफी अधिक महत्व बताया गया है, इसे सही तरीके से बनाने पर ही पूजा पूरी होती है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार जानिए पूजा की सफलता के लिए स्वस्तिक बनाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए…
सीधा और सुंदर स्वस्तिक बनाना चाहिए
स्वस्तिक कभी भी आड़ा-टेढ़ा नहीं बनाना चाहिए। ये चिह्न एकदम सीधा और सुंदर बनाना चाहिए। ध्यान रखें घर में कभी भी उल्टा स्वस्तिक नहीं बनाना चाहिए। उल्टा स्वस्तिक मंदिरों में बनाया जाता है। किसी खास मनोकामना के लिए मंदिर में उल्टा स्वस्तिक बनाते हैं। घर में जहां स्वस्तिक बनाना है, वह स्थान एकदम साफ और पवित्र होना चाहिए। जहां स्वस्तिक बनाएं, वहां बिल्कुल भी गंदगी नहीं होनी चाहिए।
सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है स्वस्तिक
स्वस्तिक धनात्मक यानी सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है। दरवाजे पर स्वस्तिक बनाने से घर में नकारात्मकता प्रवेश नहीं कर पाती है और दैवीय शक्तियां आकर्षित होती हैं। दरवाजे पर स्वस्तिक बनाने से वास्तुदोष भी दूर हो सकते हैं।
हल्दी से भी बना सकते हैं स्वस्तिक
वैवाहिक जीवन की परेशानियों को दूर करने के लिए पूजा करते समय हल्दी से स्वस्तिक बनाना चाहिए। शेष मनोकामनाओं के लिए कुमकुम से स्वस्तिक बनाना चाहिए।
2 सितंबर से गणेश उत्सव, पूजा में आड़ा-टेढ़ा और उल्टा स्वस्तिक नहीं बनाना चाहिए
Leave a comment
Leave a comment