बोइसर। पर्यूषण पर्व के चौथे दिन वाणी संयम दिवस के रुप में मनाया गया। बोइसर में प्रवक्ता उपासकजी श्री पारसमलजी दुगड़ एवं उपासकजी श्री विनोदजी बाफना ने वाणी संयम दिवस पर बताया की वाणी में इतनी ताकत होती है कि बन्दूक से निकली गोलि का घाव भरा जाता है पर वाणी से लगा घाव भरा नही जाता इसलिए वाणी संयम रखें। कभी कभी कड़वा सुनने की ताकत रखे।
आज हम किस और जा रहे हैं, पश्च्यात सस्कृति की और जहां A से ऍपल अंत में Z से झेब्रॉ यानि गधा वैसे अपनी सस्कृति अ से अज्ञान अंत में ज्ञ से ज्ञान होता है तो हम अपनी सस्कृति की ओर बढ़े एवं वाणी पर संयम रखें प्रवक्ता उपासक श्री पारसमलजी ने सास बहू के झगड़े पर वाणी बहुत संयमी रख ने पर जोरदेकर कहा सास बहू को बेटी की तरह रखे तो झगड़े ही नही होंगे धार्मिक ता से परिवार में बदलाव अता है।
उन्होंने समझाया कि
▪️अपने विचारों पर नजर रखे विचार शब्द बन जाएगे
▪️अपने शब्दो पर नजर रखे शब्द कार्य बन जाएगे
▪️अपने कार्यो पर नजर रखे कार्य आदत बन जाएगे
▪️अपने आदतों पर नजर रखेआदत चरित्र बन जाएगे
▪️अपने चरित्र पर नजर रखे चरित्र नियत बन जाएगी भगवन ऋषभ के बारे में बताते हुए कहा कि भगवन की मौन साधना चल रही थी, लोग भिक्षा में हाथी घोड़े दान देते थे ऐसे ही एक वर्ष तक चला। भगवान के पोते श्रेयान्स कुमार द्वारा इक्षुरस से पारणा हुआ
अंत में 1घण्टे मौन रखने का पचखान कराया।
बोइसर में पर्यूषण पर्व के चौथे दिन वाणी संयम दिवस मनाया गया
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