मुंबई। आ. रविशेखरसूरीश्वरजी म. सा. की निश्रा में नेमानी वाड़ी, ठाकुरद्वार के प्रांगण में पं. ललितशेखरविजयजी म. सा. ने आज “पर्वाधिराज महापर्व पर्युषण” के चतुर्थ दिन प्रवचन में कल्पसूत्रजी का वांचन किया। कल्पसूत्रजी को घर लेकर जाने का और वोहराने का लाभ शा. भंवरलालजी गजराजजी खिमावत (खिमेल) परिवार ने लिया, आज सुबह प्रवचन पूर्व 7 अलग अलग लाभार्थियों द्वारा कल्पसूत्रजी को सोना-रूपा के फूलों से वधाया गया, फिर 5 बार ज्ञान पूजा की गई, फिर अष्ट प्रकारी पूजा की गई और फिर लाभार्थी परिवार ने कल्पसूत्रजी को पू. आ. रविशेखरसूरीश्वरजी म. सा. को वोहराया।
कल्पसूत्रजी की वांचना 5 दिनों में 9 प्रवचन में पूर्ण होती हैं जिसके लिए दिन में सुबह और दोपहर 2 बार प्रवचन होते हैं। कल्पसूत्रजी में विशेषतः भगवान महावीर स्वामी का जीवन चरित्र बताया गया हैं, जिसमें नयसार के भव से महावीर स्वामी के भव तक कुल 27 भवों का वर्णन आता हैं। फिर भगवान के च्यवन से लेकर जन्म तक के सभी दृष्टांतों और घटनाओं का वर्णन आता हैं जिसमें 14 स्वपनों का भी वर्णन आता हैं। प्रवचन दौरान पारणाजी के लगते चढ़ावें बोले गए जिसमें पारणाजी घर पर ले जाने का लाभ श्रीमती छगनीबाई बख्तावरमलजी पामेचा (झालो की मदार) परिवार ने लिया, मुनीमजी बनने का लाभ रोड़ीबाई भेरुलालजी सिंघवी (गाँवगुड़ा) परिवार ने लिया, सभी लाभार्थियों का तिलक से बहुमान करने का लाभ देवराजजी अचलचंदजी पुनमिया (पिलोवणी) परिवार ने लिया और हार-माला पहनाकर बहुमान करने का लाभ मोहनलालजी वरदीचंदजी अंबावत (विसलपुर) परिवार ने लिया।
किशन सिंघवी और कुणाल शाह के अनुसार प्रवचन में ठाकुरद्वार संघ के पदाधिकारी और समर्पण ग्रुप के कार्यकर्ताओं के अलावा सैकड़ों तपस्वियों और श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति रही।
पर्युषण महापर्व के चौथे दिन नेमानीवाड़ी में हुआ कल्पसूत्रजी का वांचन
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