वाशी। पर्युषण महापर्व के अवसर पर स्वाध्याय दिवस के रुप मै अणुव्रत सभाग्रह वाशी नवी मुंबई मै आचार्य श्री महाश्रमणजी द्वारा उपासक श्रेणी के प्रवक्ता श्रीमान सुरेशजी बाफना एवं उपासक कांतिलालजी मेहता ने नमस्कार महामंत्र से शुभारंभ किया। कोपरखैरणे महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण की प्रस्तुति दी।
उपासक सुरेशजी बाफना ने अपने मंगल उध्बोधन में बताया स्वाध्याय करने से ज्ञानावरणीय कर्म हल्के होते हैं जिससे सही ज्ञान की प्राप्ति होती हैं और ज्ञान मुक्त आत्मा मोक्ष को निकट कर देती हैं ज्ञानी और ज्ञान प्राप्त करने वाले की आशातना करने से संसार भव भ्रमण बढ़ जाता है निर्जरा के 12 प्रकार में स्वाध्याय को मुख्य माना गया है आत्मा का आहार स्वाध्याय हैं स्वाध्याय से हेय उपादेय को जाना जा सकता है हम अच्छे साहित्य का स्वाध्याय कर आत्मा का विकास करते हुए औरों के लिये अपनी शक्ति व समय और श्रम का नियोजन करते रहें।
उपासक कांतिलाल जी मेहता ने अपने वक्तव्य में बताया कि स्वाध्याय के पांच प्रकार वाचना पृचना परिवर्तना अनुप्रेक्षा धर्म कथा का विवेचन करते हुए प्रतिदिन अच्छे साहित्य का स्वाध्याय करने की प्रेरणा दी हम आभारी हैं गुरुदेव आचार्य श्री तुलसी और आचार्य श्री महाप्रज्ञजी ने जिन्होंने इतने साहित्य की रचना की स्वाध्याय के कारण ही आगम सुरक्षित हैं मां के ऊपर गीतिका का मंगल संगान किया त्याग पचखान और मंगल पाठ के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए तेरापंथ सभा अध्यक्ष संपत लाल बागरेचा राकेश चंडालिया जितेंद्र सिंघवी मुकेश बाफना कैलाश गुंडेचा धर्मबोध कोठारी मुकेश चौरडिया सुरेश धोखा राहुल चोरड़िया विमल कोठारी नितेश बापना जसराज कोठारी संध्या कोठारी महिला मंडल किशोर मंडल कन्या मंडल युवक परिषद के कार्यकर्ताओं का सहयोग रहा प्रवचन में नवी मुंबई क्षेत्र से लगभग 400 श्रावक श्राविका एवं गणमान्य की उपस्थिति रही यह जानकारी तेरापंथ युवक परिषद पूर्व कोषाध्यक्ष प्रवीण चौरडिया ने दी।
वाशीः स्वाध्याय है आत्म विकास का मार्ग
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