मुंबई: मुख्यमंत्री राहत कोष गरीबों और जरूरतमंद की मदद के लिए बनाया गया है लेकिन कुछ लोग गरीबों के राशन कार्ड से इस कोष के बहाने अमीर बन गए। मुंबई क्राइम ब्रांच ने पिछले तीन दिन में इस केस में छह लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें ठाणे के एक नामी अस्पताल का डॉक्टर अमित नागराले भी शामिल है।
यह रैकिट चलता कैसे था? क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने इसकी पूरी कहानी समझाई। इस अधिकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री राहत कोष से रकम अमूमन बाढ़, भूकंप, आग या किसी आपदा के समय पीड़ित या उनके परिवार को दी जाती है लेकिन कुछ साल पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सीएम मेडिकल असिस्टेंट सेल बनाया, ताकि गंभीर बीमारियों से पीड़ित गरीब लोगों को भी मुख्यमंत्री राहत कोष से आर्थिक मदद दी जा सके।
मेडिकल ग्राउंड पर इस कोष से रकम निकालने की एक प्रमुख शर्त यह है कि आवेदक की सालाना आमदनी एक लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसके लिए आवेदक द्वारा एक अर्जी देनी पड़ती है और तहसीलदार को येलो राशन कार्ड और आधार कार्ड दिखाकर उनके ऑफिस से सर्टिफाई करवाना पड़ता है कि यह मरीज वाकई में गरीब है।
इसके बाद उस गरीब लेकिन स्वस्थ मरीज को डॉक्टर अमित नागराले के ठाणे अस्पताल में बीमार बताकर भर्ती दिखाया जाता है। उस स्वस्थ व्यक्ति की ‘गंभीर बीमारियों’ के अलग-अलग टेस्ट की रिपोर्ट तैयार की जाती है। इन बीमारियों के इलाज के लिए कितनी रकम खर्च होगी, उसका हिसाब बताया जाता है। फिर सारे फर्जी मेडिकल दस्तावेजों को असली बताकर मेडिकल खर्च की पूरी रिपोर्ट को मुंबई के एक सरकारी अस्पताल को उसके वेरिफिकेशन के लिए भेजा जाता है। वहां से यह रिपोर्ट मंत्रालय फॉरवर्ड की जाती है।
मंत्रालय में मुख्यमंत्री राहत कोष की एक मेडिकल कमिटी है। वह इन दस्तावेजों के जरिए बीमारियों की गंभीरता देखती है और फिर उस हिसाब से राशि फिक्स कर रकम संबंधित अस्पताल के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर देती है। ठाणे के जिस अस्पताल से डॉक्टर अमित नागराले साल 2017 से जुड़े हुए थे, उसमें उन्हें अस्पताल के अकाउंट से रकम विदड्रा करने का भी अधिकार था।
डॉक्टर अमित नागराले ने इस अस्पताल को दो महीने पहले ही छोड़ा था। 2017 से 2019 के बीच इस डॉक्टर ने पांच दर्जन से ज्यादा फर्जी मरीजों के जरिए करीब 78 लाख रुपये मुख्यमंत्री राहत कोष से अस्पताल के अकाउंट में ट्रांसफर करवा लिए। डॉक्टर नागराले के साथ इस केस में जो अन्य पांच आरोपी गिरफ्तार हुए हैं, उनसे पूछताछ में पता चला है कि उन्होंने इस रैकिट में सिर्फ ठाणे के इस अस्पताल में ही फर्जी मरीज नहीं बनाए, उन्होंने मुंबई के भी कुछ अस्पतालों में फर्जी मरीज भर्ती दिखाए। इसलिए अगले कुछ दिनों में कई और अस्पतालों के डॉक्टर भी जांच के घेरे में आने वाले हैं। सीनियर इंस्पेक्टर विनायक मेर और एपीआई जयेश ठाकुर की जांच में यह बात सामने आई कि जिस डॉक्टर अमित नागराले के अस्पताल में मुख्यमंत्री ऑफिस से रकम ट्रांसफर होती थी, उस नागराले को अपने रैकिट में आरती सिगवान नामक महिला ने शामिल किया। वह ही इस रैकिट की सरगना भी है। क्राइम ब्रांच ने आरती के साथ उसके पति नितिन को भी गिरफ्तार किया है। इनके अलावा संदेश मोगवीरा, विजय घाटिलकर और गणेश मुदलियार नामक आरोपी भी पकड़े गए हैं।
क्राइम ब्रांच के अनुसार, आरती सिगवान कई चैरिटी ट्रस्ट से जुड़ी हुई है । ऐसे ट्रस्ट जरूरत के वक्त गरीबों की मेडिकल मदद करते हैं। आरती को उसी बहाने पता था कि सरकारी मदद पाने के क्या-क्या तरीके हैं। उसी में उसने डॉक्टर अमित नागराले को मोटा कमिशन का लालच देकर फर्जी बिल बनाने का ऑफर दिया। बाद में उसने अपने पति व अन्य आरोपियों को झोपड़पट्टी इलाकों में भेजकर वहां तमाम लोगों से उनके येलो राशन कार्ड ले लिए।
यही नहीं, ऐसे लोगों से उनके आधार कार्ड व फोटो भी लीं और सबको बोला कि उन्हें इस राशन कार्ड के बदले में सरकार की तरफ से पांच-पांच हजार रुपये मिलेंगे। ऐसे लोगों को बाद में यह रकम दे भी दी गई, लेकिन ऐसे स्वस्थ लोगों को खुद पता नहीं चला कि उनके राशन कार्ड लेने वालों ने उन्हें कैंसर मरीज बताकर उन्हें प्राइवेट अस्तपालों में भर्ती दिखा दिया, जबकि हकीकत में वे खुद अपनी अपनी झोपड़ियों में अपने परिवार के साथ स्वस्थ और प्रसन्न रह रहे थे।