श्रीनगर:विस्थापित कश्मीरी पंडितों के एक संगठन ने एक लाख से ज्यादा कश्मीरी पंडितों का नाम जम्मू में आगामी निकाय चुनावों के लिए मतदाता सूची से हटाए जाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
ऑल स्टेट कश्मीरी पंडित कॉन्फ्रेंस (एएसकेपीसी) ने कश्मीरी विस्थापितों के लिए ज्यादा कुछ न करने के लिए राज्य और केंद्र की आलोचना की।
एएसकेपीसी ने कहा कि 2005 में पूर्ववर्ती कांग्रेस-पीडीपी सरकार के शासन के दौरान उन्हें जम्मू में हुए निकाय चुनावों में मतदान का अधिकार दिया गया था, लेकिन अब भाजपा सरकार ने इससे इनकार कर दिया है।
एएसकेपीसी के महासचिव डॉ. टीके भट ने संवाददाताओं को बताया, भारत सरकार और जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन ने विस्थापित प्रवासी कश्मीरियों के अधिकारों के उल्लंघन के मामले में सबसे ज्यादा नुकसान किया है।
इस साल अक्तूबर में जम्मू में होने वाले निकाय चुनावों में जम्मू कश्मीर निर्वाचन विभाग ने एक साजिश के तहत एक लाख से ज्यादा कश्मीरी पंडितों को उनके अधिकारों से वंचित कर दिया।
वहीं श्रीनगर में एक नागरिक समाज समूह ने जम्मू कश्मीर के सभी राजनीतिक दलों से शनिवार को अनुरोध किया कि तब तक स्थानीय निकाय और पंचायत चुनावों का विरोध करें जब तक सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 35-ए को चुनौती देने वाली एक याचिका को खारिज न कर दे।
‘एक लाख कश्मीरी पंडितों को मतदान से वंचित के लिए सरकार जिम्मेदार’
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