मुंबई:आरबीआई सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपए ट्रांसफर करेगा। रिजर्व बैंक ने बिमल जालान कमेटी की सिफारिशें मानते हुए सोमवार को इसकी मंजूरी दी। आरबीआई के सरप्लस फंड में से सरकार को कितनी रकम मिलनी चाहिए, ये तय करने के लिए पिछले साल दिसंबर में आरबीआई के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई थी।
1.76 लाख करोड़ करोड़ रुपए में 1 लाख 23 हजार 414 करोड़ 2018-19 के लिए सरप्लस और 52 हजार 637 करोड़ रुपए संशोधित इकोनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क (ईसीएफ) के मुताबिक तय हुए अतिरिक्त प्रोविजन के तहत दिए जाएंगे।
आरबीआई के पास कुल एसेट के 28% के बराबर रिजर्व फंड
कैश सरप्लस के मुद्दे पर केंद्रीय बैंक और सरकार के विवाद के चलते आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने पिछले साल दिसंबर में इस्तीफा दे दिया था। विभिन्न अनुमानों के मुताबिक आरबीआई के पास 9 लाख करोड़ रुपए का सरप्लस फंड है। यह आरबीआई के कुल एसेट का करीब 28% है। सरकार का कहना था कि दूसरे बड़े देशों के केंद्रीय बैंक अपने एसेट का 14% रिजर्व फंड में रखते हैं।
रिजर्व बैंक का सरप्लस फंड मिलने से सरकार को वित्तीय घाटा काबू में रखने में मदद मिलेगी। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के 3.3% के बराबर वित्तीय घाटे का लक्ष्य रखा है। सरप्लस कैपिटल ट्रांसफर के अलावा मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार को आरबीआई से 90 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड के रूप में मिलने की उम्मीद है। पिछले साल 68 हजार करोड़ मिले थे।
फंड तय करने के लिए पहले भी 3 समितियां बनी थीं
आरबीआई का रिजर्व फंड तय करने के लिए पहले भी तीन समितियां बनी थीं- वी सुब्रमण्यम (1997), उषा थोराट (2004) और वाई.एस. मालेगाम (2013) समिति। सुब्रमण्यम समिति ने 12% और थोराट समिति ने 18% रिजर्व की सिफारिश की थी। आरबीआई के बोर्ड ने थोराट कमेटी की सिफारिश नहीं मानी थी। बल्कि, सुब्रमण्यम कमेटी की सिफारिश को ही जारी रखा था। मालेगाम कमेटी ने कोई आंकड़ा नहीं बताया था लेकिन कहा था कि आरबीआई को हर साल पर्याप्त रकम ट्रांसफर करनी चाहिए।
आरबीआई सरकार को रिकॉर्ड 1.76 लाख करोड़ रु ट्रांसफर करेगा, जालान कमेटी की सिफारिशें मंजूर
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