पर्युषण पर्व जैन धर्म के लोगों का सर्वाधि क महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व बुरे कर्मों का नाश करके हमें सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। भगवान महावीर के सिद्धांतों को ध्यान में रखकर हमें निरंतर और खासकर पर्युषण के दिनों में आत्मसाधना में लीन होकर धर्म के बताए गए रास्ते पर चलना चाहिए। श्वेताम्बर जैन समाज का आठ दिन का महापर्व पर्युषण सोमवार से शुरू हो रहा है जो कि 2 सितंबर तक चलेगा। इसके बाद दिगम्बर जैन सम्प्रदाय का पर्युषण पर्व शुरू होकर 12 सि तंबर तक होगा आइए जानते हैं पर्युष ण महापर्व क्या है।
- मांगते हैं गलतियों की क्षमा
*. पर्युषण शब्द में परि का अर्थ चारों ओर और उषण का अर्थ धर्म की आराधना होता है।
*. यह पर्व महावीर स्वामी के मूल सिद्धांत अहिंसा परमो धर्म, जिओ और जीने दो की राह पर चलना सिखाता है।
*. पर्युषण के 2 भाग हैं- पहला तीर्थंकरों की पूजा, सेवा और स्मरण तथा व्रतों के माध्यम से शारीरिक, मानसिक व वाचिक तप में स्वयं को पूरी तरह समर्पित करना।
*. श्वेतांबर समाज 8 दिन तक पर्युषण पर्व मनाते हैं जिसे ‘अष्टान्हिका’ कहते हैं जबकि दिगंबर 10 दिन तक मनाते हैं जिसे वे ‘दसलक्षण’ कहते हैं। ये दसलक्षण हैं- क्षमा, मार्दव, आर्जव , सत्य, संयम, शौच, तप, त्या ग, आकिंचन्य एवं ब्रह्मचर्य।
*. पर्युषण के समापन पर ‘विश्व-मैत्री दिवस’ मनाया जाता है। अंतिम दिन दिगंबर ‘उत्तम क्षमा’ तो श्वेतांबर ‘मिच्छामि दुक्कड़म्’ कहते हुए लोगों से क्षमा मांगते हैं।