तपस्या से कर्मो की निर्जरा होती है-साध्वी श्री सम्यकप्रभाजी
पेटलावद। भगवान महावीर ने कर्म निर्जरा के अनेक मार्ग बताए है।उनमें से तप सबसे उत्तम मार्ग है।तप से हम अपने कर्मो की निर्जरा कर सकते है। उक्त विचार आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री सम्यकप्रभाजी ने 9 की तप आराधना करने वाली तपस्वी सुश्री प्रांजल शैलेश पटवा के तप अभिनन्दन समारोह में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये।
इस अवसर पर साध्वी श्री मलयप्रभाजी,साध्वी श्री सौम्यप्रभाजी,साध्वी श्री वर्धमानश्रीजी ने भी गीतिका के माध्यम से अपनी सुंदर प्रस्तुति देते हुए तप की अनुमोदना की व तप की महत्ता को विस्तारपूर्वक समझाया।
तप अभिनन्दन के इस गरिमामय कार्यक्रम में तेरापंथी सभा की ओर से सभा मंत्री लोकेश भंडारी,महिला मंडल की अध्यक्षा मनीषा पटवा,युवक परिषद की ओर से मंत्री अनुराज भंडारी,अणुव्रत समिति की ओर से पंकज जे.पटवा,सहित श्रीमती निर्मला देवी पटवा,मुदित पटवा, प्रज्ञा मारू, सचिन मूणत आदि ने भी अपने भावों की अभिव्यक्ति दी।
श्रीमती समता भंडारी ने मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुआत की। इस गरिमामय कार्यक्रम में तेरापंथी सभा,युवक परिषद,महिला मंडल की ओर से तपस्वी का अभिनन्दन भी किया गया। साथ ही तपस्वी के तप के उपलक्ष्य में किशोर मंडल के सुजल पटवा ने अठ्ठाई की तप आराधना का संकल्प लेकर तपस्वी का बहुमान किया। इस अवसर पर तपस्वी प्रांजल पटवा की तपस्या के उपलक्ष्य में महिला मंडल ने भी गीतिका के माध्यम से अपनी रोचक प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन पंकज जे. पटवा ने किया। उक्त तप अभिनन्दन समारोह में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाए विशेष रूप से उपस्थित थे।