नितेश जांगिड़ एक ऐसी शख्सीयत हैं, जिन्होंने चिकित्सा क्षेत्र के लिए ऐसे उपकरण बनाए हैं, जो जानलेवा स्थिति में मरीज को जरूरी उपचार देने में सक्षम हैं। उन्होंने अपने स्टार्टअप ‘कोइओ लैब्स’ के साथी नचिकेत देवल के साथ मिल कर ‘सांस’ नाम का ऐसा उपकरण बनाया है, जो बच्चों में सांस से जुड़ी समस्या का उपचार करता है।
इसके अलावा उनका बनाया ‘वैपकेयर’ लंबे समय तक वेंटीलेटर में रहने से लोगों में होने वाली बीमारी निमोनिया से बचाव करता है। उनके अब तक किए आविष्कारों के छह पेटेंट हो चुके हैं। उन्हें देश-विदेश की कई फेलोशिप मिली हुई हैं। फोर्ब्स ने उन्हें चिकित्सा क्षेत्र में उपलब्धियों के लिए अपनी 2019 की ‘30 अंडर 30-एशिया’ सूची में जगह दी है।
कैसे हुए प्रेरित: नितेश एक इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर जरूर हैं, पर उनकी रुचियों का दायरा काफी फैला हुआ है। वह कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के अलावा कई नई तकनीकों जैसे मशीन लर्निंग, कंप्यूटर विजन की गहरी समझ रखते हैं। उन्हें अपनी योग्यता और रुचि के चलते साल 2013 में इंडिया-स्टेनफोर्ड बायोडिजाइन प्रोग्राम का हिस्सा बनने का मौका मिला। इस योजना के अंतर्गत उन्होंने एक ऐसा चिकित्सा उपकरण बनाया था, जो कैंसर और टीबी से पीडि़त व्यक्तियों के फेफड़ों से अतिरिक्त तरल को निकाल सकता है। लोगों का उनके इस आविष्कार की ओर ध्यान गया। इसके चलते साल 2014 में उन्हें एक फेलोशिप प्रोग्राम के लिए चुना गया। इस प्रोग्राम के तहत उन्हें बैंगलुरु के एक स्वास्थ्य सेवा केन्द्र में शोध-कार्य के लिए भेजा गया।
वहां उन्हें साथ मिला नचिकेत देवल का, जो उन्हीं की तरह रुचि रखते थे। यहां उन्हें मिल कर चिकित्सा क्षेत्र की समस्याओं के मौलिक हल खोजने थे। वह यहां अपने मकसद के साथ डॉक्टर, नर्स, मरीजों के बीच काम करते रहते। यहां उन्होंने देखा कि किसी प्राथमिक चिकित्सा संस्थान से आया एक नवजात शिशु सांस की समस्या का सही इलाज न मिलने की वजह से जान गंवा देता है। वह जानते थे कि ऐसी समस्याओं का इलाज मौजूद है, पर अप्रशिक्षित कर्मचारियों, उपयुक्त चिकित्सा उपकरणों की कमी की वजह से ऐसा नहीं हो पाया।
दोनों साथी ऐसी घटनाओं से काफी प्रभावित हुए। और मानव जीवन को बचाने के लिए साल 2014 में स्टार्टअप ‘कोइओ लैब्स’ शुरू किया। उन्हें इसमें कई चिकित्सा संस्थानों का साथ मिला। बीते चार सालों में ये उद्यमी जोड़ी चिकित्सा क्षेत्र के लिए ऐसे उन्नत उपकरण बनाने में कामयाब हुए हैं, जिनकी मांग सिर्फ भारत में ही नहीं, विश्व भर के चिकित्सा संस्थानों में भी है।
काम की बात
नितेश जांगिड़ (एंटरप्रिन्योर, स्टार्टअप ‘कोइओ लैब्स’ के सह-संस्थापक) ने कहा – हर कोई कुछ-न-कुछ बड़ा करना चाहता है। पर कई तरह की खामियों को ढोते हुए, बिना बेहतर योजना व प्रयास के ऐसा नहीं किया जा सकता। सोच और काम के बीच का फर्क हमारे आगे बढ़ने में बड़ी बाधा है। अच्छा नजरिया आपके काम में दिखना चाहिए।
नितेश जांगिड़ ने कहा- ”आज कई समस्याओं के समाधान मौजूद हैं, पर वे हमेशा सही समय पर सही जगह उपलब्ध नहीं होते। हम इस खामी को दूर कर रहे हैं।”