वॉशिंगटन:अमेरिका के एक वरिष्ठ राजनयिक ने मंगलवार को कश्मीर मुद्दे पर ट्रंप प्रशासन की ओर से किसी भी तरह की मध्यस्थता से इनकार किया और कहा कि जम्मू कश्मीर पर भारत सरकार ने हाल में जो फैसला लिया है वह उसका आंतरिक मामला है। अमेरिका के विदेश विभाग के एक राजनयिक ने जिक्र किया कि पाकिस्तान के लिये कश्मीर हमेशा से एक अहम और भावनात्मक मुद्दा रहा है।
उन्होंने कहा कि वास्तव में पाकिस्तान के लिये यह दिखाने का सही समय है तथा इसके अपने कारण भी हैं कि पाकिस्तान अपनी कार्ययोजना के मुताबिक छद्म ताकतों को अपनी जमीन से कार्रवाई करते रहने की इजाजत देने का कोई फायदा नहीं है। उसके लिये अपनी छवि को निर्धारित करने और अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिये निवेश को आकर्षित करने की क्षमता दिखाने का भी यह सही समय है।
भारत ने दृढ़ता से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाकर जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को वापस लेना उसका आंतरिक मामला है और उसने पाकिस्तान को भी इस हकीकत को स्वीकार की सलाह दी है। अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया, ”हम मानते हैं कि यह (कश्मीर पर भारत का फैसला) उनका आंतरिक मामला है। लेकिन जाहिर है इसके भारत की सीमा के बाहर भी प्रभाव होंगे। हम लंबे समय से दशकों के इस मुद्दे को सुलझाने के लिये भारत और पाकिस्तान को सीधी बातचीत की सलाह दे रहे हैं।”
वहीं दूसरी ओर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से टकराव का मुद्दा रहे कश्मीर की ”विस्फोटक स्थिति पर एक बार फिर मध्यस्थता की पेशकश की है। ट्रंप ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष सप्ताहांत में यह मुद्दा उठायेंगे। अमेरिका ने मोदी से कश्मीर में तनाव कम करने के लिये कदम उठाने का अनुरोध किया था।
ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा, ”कश्मीर बेहद जटिल जगह है। यहां हिंदू हैं और मुसलमान भी और मैं नहीं कहूंगा कि उनके बीच काफी मेलजोल है।” उन्होंने कहा, ”मध्यस्थता के लिये जो भी बेहतर हो सकेगा, मैं वो करूंगा।”
अमेरिका ने कश्मीर को बताया भारत का आंतरिक मामला, मध्यस्थता से इनकार
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