आत्मविश्वास से पहाड़ों से भी झरने निकाले जा सकते हैं
वसई। जीवन दृष्टा साध्वी परमेष्ठीवंदना का मानना है कि खाली बोरी कभी खड़ी नहीं होती, उसे खड़ा करने के लिए उसमें कुछ ना कुछ भरना पड़ता है ।वैसे ही जिंदगी को खड़ा करने के लिए उसमें आत्मविश्वास को भरें ,भले ही हमारा सब कुछ खो जाए पर अपने आत्मविश्वास को कभी भी ना खोने दें क्योंकि आत्मविश्वास दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है। इस धरती पर आत्मविश्वास से बढ़कर कोई संजीवनी औषध ही नहीं है ।अगर हमारा कोई मित्र नहीं है तो कोई बात नहीं, आत्मविश्वास को अपना मित्र बनाएं ।अगर आत्मविश्वास है तो बुड्ढा भी जवान है, नहीं तो जवान भी जिंदा रहने के काबिल नहीं है। आत्मविश्वास के लिए व्यक्ति ‘मैं सब कुछ कर सकता हूं ‘का मंत्र अपनाते हुए जोश जगाए और असंभव का”अ” हटाए।
वे मंगलवार को श्री महावीर नवयुग मंडल द्वारा आयोजित युवाओं की एक संगोष्ठी में बोल रही थी। उन्होंने कहा आसमान ऊंचा है पर व्यक्ति तबीयत से पत्थर उछाले तो आसमान में भी छेद कर सकता है ।जब पेड़ को भी फलों से आच्छादित होने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, फिर इंसान आलसी क्यों बना बैठा है ।शिखर पर वही पहुंचता है जो आखरी दिन तक मेहनत करता है ,अगर विद्यार्थी है तो ज्ञान में, व्यापारी है तो धन में ,साधक है तो साधना में संतोष करने की बजाय आगे बढ़ने की कोशिश करें ।संतोष और धैर्य वृद्ध लोगों के लिए हैं युवाओं के लिए नहीं।
जिंदगी को चुनौती समझो
नवयुवकों की इस संगोष्ठी को साध्वी प्रवर विश्ववंदना ने संबोधित करते हुए कहा कि, जो जिंदगी को चुनौती समझता है उसका हर पल उपयोगी बन जाता है ।जो 4 घंटे मेहनत करेगा उसका 40% भाग्य खुलेगा, 8 घंटे वाले का 60% ,12 घंटे वाले का 80%, पर जो मेहनत के लिए 16 घंटे लगा देगा उसका 100% भाग्य चमक जाएगा ।अगर व्यक्ति अपने सोए हुए जोश जज्बे में और जुनून को जगा ले तो वह कुदरत से भी मिली हर कमजोरी को सफलता की कहानी में बदल सकता है।
उन्होंने कहा लड़की होने के बावजूद कल्पना चावला, किरण बेदी बनकर व अपंग होने के बावजूद कोटा इंस्टीट्यूट का मालिक बी . के बंसल बनकर ऊंचाइयों की नई इबारत लिख सकता है।
खाली नहीं खुला दिमाग हो
साध्वी ने कहा कभी भी खाली मत बैठो ,कुछ ना कुछ करते रहो ,क्योंकि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। खाली महिला पड़ोसियों से लड़ती है और निठल्ला पुरुष पत्नी से ।सक्रिय लोग इमानदारी की जिंदगी जीते हैं और फालतू लोग उल्टे उल्टे काम करते हैं। जो केवल मौत को देखते हैं वह मरने से पहले मर जाते हैं ,पर जो जीवन को देखते हैं वह पुरुषार्थ के द्वारा गीता को पुनर्जन्म देते हैं ।अगर बुड्ढा भी थिरकना शुरू कर दे तो मात्र 27 दिनों में उसका बुढ़ापा जाता रहेगा ।इसके अलावा साध्वी ने नवयुवकों को जीवन जीने के कई टिप्स देते हुए कहा कि फुर्ती के साथ उठे ,गति के साथ टहले, मस्तिष्क शुद्धि प्राणायाम करें, सीधी कमर बैठे हैं ,हास्य बोध बनाए रखें, साथ ही उन्होंने भजनों से सिखाई जीने की कला । उदाहरण देते हुए कहा कि'” है अगर दूर मंजिल तो क्या ,रास्ता भी है मुश्किल तो क्या, रात तारों भरी ना मिले तो दिल का दीपक जलाना पड़ेगा।
संगोष्ठी साध्वी विश्ववंदना के उदगार
मंच का संचालन संघ के अध्यक्ष मांगीलाल बोल्या ने किया। श्रावकों ने रक्षाबंधन पर दोनों साध्वी जी को उपहार के रूप में 108 पोषध करने संकल्प दिया।