नई दिल्ली: बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने सरकार को साफ तौर पर बता दिया था कि भारतीय सेना पाकिस्तान के खिलाफ पारंपरिक युद्ध लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है। न्यूज एजेंसी ने सोमवार को सेना से जुड़े सूत्रों के हवाले से यह खबर दी। इसके मुताबिक, थलसेना जरूरत पड़ने पर पाकिस्तान के अंदर जाकर भी जंग लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार थी। सूत्रों के हवाले से आई इस खबर के बाद जनरल रावत से सोमवार को एक कार्यक्रम के दौरान इसी बारे में पूछा गया। उन्होंने स्वीकार किया कि बालाकोट स्ट्राइक के बाद सेना किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए तैयार थी।
26 फरवरी को वायुसेना ने एयर स्ट्राइक की थी
वायुसेना ने पुलवामा हमले के बाद 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर हमले किए थे। अगले दिन 27 फरवरी को पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई की कोशिशों को वायुसेना ने विफल कर दिया था। कश्मीर में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले में करीब 40 जवान शहीद हुए थे। हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश ने ली थी। इसके 12 दिन बाद वायुसेना ने एयर स्ट्राइक की थी।
सेना को हथियारों की उपलब्धता में सुधार हुआ
सूत्रों ने कहा कि 2016 के उड़ी हमले के बाद से हथियारों और गोला-बारूद की उपलब्धता में काफी सुधार हुआ है। इसके अलावा पिछले साल मार्च में तीनों सेनाओं के उप प्रमुखों को अतिरिक्त वित्तीय शक्तियां दी गई थीं ताकि वे अभियान की तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए हथियार खरीद सकें। वहीं, इस साल फरवरी में पुलवामा आतंकी हमले के बाद सरकार ने हथियारों और सैन्य उपकरणों की खरीद के लिए तीनों सेना प्रमुखों को विशेषाधिकार दिए ताकि पाकिस्तान सीमा पर तैनाती बढ़ाई जा सके। सेना ने सितंबर 2016 में हुए उड़ी हमले के बाद 11,000 करोड़ रुपए के गोला-बारूद खरीदने के लिए कॉन्ट्रैक्ट किए थे। इसमें से सेना को अब तक 95% हथियार और गोला-बारूद मिल चुका है। सेना ने महत्वपूर्ण हथियारों की खरीद के लिए 7,000 करोड़ रुपए के 33 अनुबंधों को भी अंतिम रूप दे दिया है। वह 9,000 करोड़ रुपए के और हथियार खरीदने वाली है।
हथियारों की खरीद के लिए नियमों में ढील
सरकार ने हथियारों की खरीद में देरी को रोकने के लिए कुछ नियमों में भी ढील दी है। अब सेना एक ही वेंडर से जरूरी हथियार और उपकरण खरीद सकती हैं। जम्मू-कश्मीर पर भारत के फैसलों पर पाकिस्तान की तीखी प्रतिक्रिया के मद्देनजर सेना को नियंत्रण रेखा पर हाई अलर्ट पर रखा गया है।