आत्म साक्षात्कार की प्रक्रिया का नाम है प्रेक्षाध्यान- मुनिश्री जिनेश कुमारजी
पालघर। महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में आचार्य श्री महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष के अंतर्गत एक दिवसीय प्रेक्षाध्यान, योग मुद्रा विज्ञान व रंग चिकित्सा शिविर का आयोजन जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा पालघर द्वारा तेरापंथ भवन में किया गया। शिविर में वरिष्ठ प्रेक्षा प्रशिक्षक पारसमल जी दुग्गड़ ने शिविरार्थियों प्रशिक्षण दिया। शिविर में लगभग 70 शिविरार्थियो ने हिस्सा लिया। शिविर में प्रथम सत्र में प्रशिक्षक पारसमल जी ने योगासन, प्राणायाम एव प्रेक्षाध्यान के प्रयोग करवाएं।
द्वितीय सत्र में आयोजित प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री जिनेश कुमार जी ने कहा आत्म साक्षात्कार की प्रक्रिया का नाम है प्रेक्षाध्यान। शरीर से आत्मा स्थूल से सूक्ष्म, आत्मा से परमात्मा, वासना से उपासना और असत से सत, मृत्यु से अमरत्त्व की यात्रा का नाम है प्रेक्षाध्यान। वर्तमान की भागमभाग भरी जिंदगी में सुकून देने वाली एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है प्रेक्षाध्यान। प्रेक्षाध्यान आचार्य श्री तुलसी की सनिधि में आचार्य श्री महाप्रज्ञ द्वारा वर्षो तक प्रयोग करके जनता के समक्ष प्रस्तुत की गई आध्यात्मिक ज्ञान पद्धति, आध्यात्मिक वैज्ञानिक ज्ञान पद्धति है। प्रेक्षाध्यान अध्ययन के जरिए कई प्रकारों के शारीरिक मानसिक और भावनात्मक रोगों को ठीक किया जा सकता है। प्रेक्षाध्यान का मूल उद्देश्य चित्त की शुद्धि है। ध्यान ज्योति की साधना है। प्रकाश निवृत्ति की साधना है।
इस अवसर पर विधायक अमित जी घोड़ा, शिवसेना जिला प्रमुख राजेश जी शहा, ललित जैन, तेरापंथ सभा अध्यक्ष जी नरेश जी राठौड़ आदि ने अपने विचार व्यक्त किये। अतिथियों का साहित्य द्वारा सम्मान किया गया।
तृतीय सत्र में प्रशिक्षक पारसमल जी दुग्गड़ ने कायोत्सर्ग, ध्यान, मुद्रा विज्ञान, रंग चिकित्सा आदि के प्रयोग करवाये व जानकारी प्रदान की। सभी लोगों ने उत्साह से शिविर में भाग लिया। शिविर के संयोजक धर्मेश सिंघवी ने शिविर को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा। यह जानकारी दिनेश राठौड़ ने दी।