मुंबई। तेरापंथ भवन कांदिवली में चातुरमासार्थ विराजित आचार्य श्री महाश्रमणजी के विद्वान शिष्य आगम मनीषी प्रो. मुनि महेन्द्रकुमारजी आदि ठाना-5 के सान्निध्य में “प्रस्थान – गुरु महाप्रज्ञजी के पावन पदचिन्हों पर” कार्यक्रम का शानदार आयोजन किया गया।
आचार्य श्री महाप्रज्ञजी के जन्म शताब्दी वर्ष पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए बीसवीं शताब्दी के महान लेखक युगप्रधान गुरु श्री महाप्रज्ञजी की पुस्तक ”उत्तरदायी कौन ?” पर विशेष प्रवचन देते हुए डॉक्टर मुनि श्री अभिजीत कुमार जी ने पुस्तकों का हमारे जीवन में क्या महत्त्व होता है इस विषय पर प्रकाश डाला और सभी को पुस्तके पढ़ने और स्वाध्याय करने के लिए प्रेरित किया।
कई बार हम जिंदगी मे बहुत सी समस्याअो मे उलझ जाते है और सोचते है की “मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है?” इस पर मुनिश्रीजी ने लघु कथाओ के माध्यम से बड़े ही सुन्दर एवं सरल भाषा में समझाया की आप की आत्मा ही आप के सुख एवं दुःख की करनी है |इस दौरान मुनिश्रीजी द्वारा ध्यान का बड़ा ही अद्भुत प्रयोग भी कराया गया।
इस मौके पर मुनिश्री जागृत कुमारजी ने कहा कि गुरु महाप्रज्ञजी ने अभ्यास व स्वाध्याय की साधना से अपनी प्रज्ञा को जागृत किया। पुस्तकों को कैसे पढ़ा जाये एवं उसे जीवन में कैसे आत्म-सात किया जाये इस पर सुन्दर विवेचन दिया।
कार्यक्रम में लायंस क्लब से श्रेणिकजी बैद एवं नटवरजी बांका की विशेष उपस्थिति रही। तरुणाजी बोहरा, रचनाजी हिरन, भारतजी छाजेड़,अनिलजी चोरडिया ने अपने विचार व्यक्त किये।
इस दौरान सवाल जवाब सत्र का भी आयोजन किया गया, जिसमे कई लोगो ने अपनी सहभागिता दर्ज कराइ।कार्यक्रम में विभिन्न परिषदों से बड़ी संख्या में सभी वर्गों के श्रावकों की उपस्थिति रही। मंच संचालन कार्यक्रम के संयोजक चिराग पामेचा ने किया।
कांदिवली में ‘प्रस्थान – गुरु महाप्रज्ञजी के पावन पदचिन्हों पर…’ कार्यक्रम का शानदार आयोजन
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