पीएम नरेंद्र मोदी 73वें स्वतंत्रता दिवसपर लाल किले से तिरंगा फहराने के बाद देशवासियों को आजादी दिवस और रक्षाबंधन की बधाई दी। पीएम ने बाढ़ पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त की और राहत कार्यों में लगे कर्मियों का धन्यवाद व्यक्त किया। आइए आपको बताते हैं पीएम मोदी के भाषण की बड़ी बातें…
नई सरकार ने 10 सप्ताह भी पूरे नहीं किए हैं, लेकिन इस छोटे समय में सभी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। 10 सप्ताह के भीतर हमारी मुस्लिम माताओं बहनों को उनका अधिकार दिलाने के लिए कानून बनाना। आतंक से जुड़े कानूनों मे आमूलचूल परिवर्तन करके उसको नई ताकत देने का, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को और मजबूत करने का काम किया गया।
किसानों और व्यापारियों की मदद
किसान भाइयों-बहनों को प्रधानमंत्री सम्मान निधि के तहत 90 हजार करोड़ रुपया किसानों के खाते में ट्रांसफर करने का काम आगे बढ़ा है। हमारे किसान और छोटे व्यापारी भाई बहन कभी कल्पना नहीं कर सकते थे के उनके जीवन में पेंशन की व्यवस्था हो सकती है। हमने पेंशन योजना को लागू किया है।
अब सपनों को पूरा करने का समय
2014 से 19 पांच साल आपने मुझे सेवा का मौका दिया। अनेक चीजें ऐसी थी कि आम लोग निजी आकांक्षाओं के लिए जूझ रहे थे। हमने तय किया कि लोगों की रोजमर्रा की जरूरत है उनपर हमने बल दिया और गाड़ी ट्रैक पर लाए। वक्त बदलता है, यदि 2014-19 आवश्यकताओं की पूर्ति का समय था तो अब उनके सपनों को साकार करने का कालखंड है। हमने पांच साल का खाका तैयार किया है और एक के बाद एक कदम उठा रहे हैं।
निराशा आशा में बदली
तब हर किसी के चहेरे पर निरासा थी, लोग सोचते थे कि क्या सरकार बदलने से देश बदल सकता है। जब 2019 में 5 साल के कठिन परिश्रम और समर्पण और देश और देशवासियों के लिए पल-पल खपाते रहे, मैं लोगों के बीच गया तो निराशा आशा में बदल चुकी थी। लोगों का एक ही स्वर था, हां मेरा देश बदल सकता है। हम भी देश बदल सकते हैं। 130 करोड़ नागरिकों की चेहरों की यह भाव हमें नई ताकत नया विश्वास देती थी।
तीन तलाकखत्म, मुस्लिम बेटियों को समान अधिकार
हमारी मुस्लिम बेटियों के सिर पर 3 तलाक की तलवार लटकी हुई थी। वे डरी हुई जिंदगी जीती थी। वे कभी भी 3 तलाक का शिकार हो सकती हैं, यह भय उनको जीने नहीं देता था। दुनिया के कई इस्लामिक देशों ने इस कुप्रथा को हमसे बहुत पहले खत्म कर दिया, लेकिन किसी ना किसी कारण से हम मुस्लिम माताओं-बहनों को हक देने से हम हिचकिचाते थे। अगर हम बाल विवाह, सती प्रथा को खत्म कर सकते हैं दहेज प्रथा के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं तो क्या न हम 3 तलाक के खिलाफ भी आवाज उठाएं। इसलिए भारतीय संविधान की भावना का आदर करते हुए मुस्लिम महिलाओं को समान अधिकार मिले, हमने इस महत्वपूर्ण फैसले को लिया। यह निर्णय राजीतिक तराजू से तौलने का निर्णय नहीं होते हैं।
अनुच्छेद 370 को खत्म किया
हम समस्याओं को टालते नहीं है और ना ही समस्याओं को पालते हैं। हम समस्याओं टालने और पालने का वक्त नहीं है। जो काम 70 साल में नहीं हुआ। वह 70 दिन के भीतर हुआ। अनुच्छेद 370, 35A को हटाने का काम लोकसभा और राज्यसभा ने दो तिहाई बहुमत से खत्म कर दिया। इसका मतलब है कि हर किसी के दिल में यह बात थी, लेकिन आगे कौन आए इसका इतंजार था। देशवासियों ने मुझे ये काम दिया। मैं वही करने आया हूं, जो आप चाहते हैं। हमने राज्य का पुनर्गठन भी किया। हर सरकार ने काम किया, लेकिन इच्छित परिणाम नहीं मिले हैं। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों को आशा-आकांक्षा पूरी हो यह हमसब की जिममेदारी है। 130 करोड़ लोगों को यह जिम्मेदारी उठानी है।
30 साल में इन व्यवस्थाओं ने अलगाववाद को बल दिया है। आतंकवाद को जन्म दिया है। परिवारवाद को पोसा है और भ्रष्टाचार और भेदभाव की नीति को जन्म दिया। वहां की महिलाओं, दलितों, जनजातिय समहू, गुर्जर-बक्करवाल, गद्दी, सिपी को अधिकार मिलने चाहिए, उन्हें देने की दिशा में…वहां के हमारे सफाई कर्मचारी भाई बहनों के साथ कानूनी रोक लगा दी गई थी। उनके सपनों को कुचल दिया गया था। आज हमने उन्हें यह आजादी दी है। भारत विभाजन हुआ। लाखों लोग विस्थापित हुए। जो लोग जम्मू-कश्मीर में बसे उन्हें कानूनी और मानवीय अधिकार नहीं मिले।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत की सुख शांति और प्रगति में बहुत योगदान दे सकता है। उसके पुराने महान दिवसों को लौटाने का हम प्रयास करें। उन प्रयासों के लिए यह नई व्यवस्था बनी है, सीधे नागरिकों के लिए सुविधा पैदा करेगी। जब जम्मू-कश्मीर का नागरिक सीधे दिल्ली सरकार से सवाल पूछ सकता है। बीच में कोई रुकावट नहीं आएगी।
आपका इरादा ना था
जो लोग 370 की वकालत कर रहे हैं उनसे देश पूछ रहा है कि यदि यह अनुच्छेद इतना महत्वपूर्ण था उसी से भाग्य बदलने वाला था तो आप लोगों ने अब तक उसे स्थायी को नहीं बनाया, अस्थायी क्यों रहने दिया। इसका मतलब यह है कि आप भी जानते थे कि जो हुआ है वह सही नहीं हुआ है, लेकिन सुधार करने की आपमें हिम्मत नहीं थी, इरादा नहीं था। मेरे लिए देश का भविष्य ही सबकुछ है। राजनीतिक भविष्य कुछ नहीं होता है। हमारे संविधाननिर्माताओं ने, सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देश की एकता के लिए कठिन फैसले लिए। लेकिन अनुच्छेद 370 और 35A की वजह से रुकावटें भी आईं।
वन नेशन-वन इलेक्शन
आज पूरा देश कह सकता है- एक नेशन-एक कॉन्स्टीट्यूशन। जीएसटी के माध्यम से वन नेशन वन टैक्स के सपने को पूरा किया। पिछले दिनों वन नेशन-वन ग्रिड को सफलतापूर्वक किया। वन नेशन वन मोबिलिटी कार्ड की व्यवस्था की। आज देश में व्यापक रूप से चर्चा है, वन नेशन वन इलेक्शन।
जल जीवन मिशन की घोषणा
आज मैं लाल किले से घोषणा करता हूं कि हम आने वाले दिनों में जल जीवन मिशन को लेकर आगे बढ़ेंगे। इसके लिए केंद्र और राज्य साथ मिलकर काम करेंगे और इसके लिए साढ़े 3 लाख रुपये से ज्यादा रकम खर्च करने का संकल्प है। जल संचय, जल सिंचन हो वर्षा के बूंद-बूंद पानी बचाने का काम हो, समुद्री पानी और वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट हो, माइक्रो इरिगेशन हो, पानी बचाने का काम हो,पानी का महत्व को समझें, हम लगातार प्रयास करें और इस विश्वास के साथ बढ़ें कि पानी के क्षेत्र में जितना काम हुआ है, अगले 5 साल में चार गुना तेजी से बढ़ना है। हम और इंतजार नहीं कर सकते हैं।
जनसंख्या विस्फोट
अब हमारा देश उस दौर में पहुंचा है, जिसमें चुनौतियों को सामने से स्वीकार करना है। कभी राजनीतिक नफा-नुकसान के इरादे से हम निर्णय करते हैं। इससे देश का बहुत नुकसान होता है। हमारे यहां बेतहासा जनसंख्या विस्फोट हो रहा है। यह आने वाली पीढ़ियों के लिए अनेक संकट पैदा करता है। हमारे देश में एक जागरूक वर्ग है जो इस बात को भली-भांति समझता है वह अपने घर में शिशु को जन्म देने से पहले सोचता है कि मैं उसकी जरूरतों को पूरा कर पाऊंगा कि नहीं। आज भी स्वंय प्रेरणा से एक छोटा वर्ग परिवार को सीमित रखकर अपना भी भला करता है और देश की भलाई में भी बड़ा योगदान देता है। छोटा परिवार रखकर भी वे देशभक्ति करते हैं। मैं चाहूंगा कि समाज के सभी लोग इन्हें देखें। देखते ही देखते परिवार कैसे आगे बढ़े। हम भी उनसे सीखें। हमारे घर में किसी भी शिशु को आने से पहले हम सोचें कि जो शिशु हमारे घर में आएगा क्या उसकी जरूरतों के लिए हमने खुद को तैयार कर लिया है? क्या मैं उसे समाज के भरोसे छोड़ दूंगा। एक समाजिक जागरूकता की आवश्यकता है। समाज के बाकी वर्गों को जोड़कर हमें जनसंख्या विस्फोट की चिंता करनी होगी। राज्यों और केंद्र सरकार को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से इस काम को करना होगा।
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई
भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद हमारे देश को कल्पना से अधिक नुकसान किया है। दीमक की तरह हमारे जीवन में घुस गया है, इसको निकालने के लिए हम लगातार प्रयास कर रहे हैं, सफलताएं भी मिली हैं, लेकिन बीमारी इतनी गहरी है कि हमें और अधिक प्रयास करना होगा, सरकारी स्तर पर ही नहीं हर स्तर पर करना होगा। यह एक ऐसी बीमारी है, जिससे लगातार लड़ना होगा। पिछले 5 साल में, इस साल आते ही सरकार में बैठे बडे़-बड़े लोगों की छुट्टी कर दी गई, जो इसमें रुकावट बनते थे।
गैरजरूरी कानूनों का खात्मा
हमने गैर जरूरी कई कानूनों को खत्म किया। मैंने पिछले 5 सालों में एक प्रकार से प्रतिदिन 1 गैरजरूरी कानून को खत्म किया था। देश के लोगों के शायद यह बात पहुंची नहीं होगी, 1450 कानून खत्म किया था। अभी 10 सप्ताह में 60 ऐसे कानूनों को खत्म किया है। हम ईज ऑफ लिविंग को आसान बनाना चाहते हैं।
इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च होंगे 100 लाख करोड़ रुपये
हमें लंबी छलांग लगानी होगी, भारत को ग्लोबल स्तर पर मिलाने के लिए काम करना होगा। आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर देना होगा। इसकी तरफ हमारा ध्यान है। 100 लाख करोड़ रुपया आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर में लगाएं जाएंगे। इसमें सागरमाला, भारतमाला, रेलवे स्टेशन का आधुनिकिकरण शामिल है। पहले लोग पूछते थे कि पक्की सड़क कब आएगी, आज कोई मिलता है तो कहता है, फोर लेन रोड बनेगा या फिर 6 लेन वाला। सिर्फ पक्की सड़क तक वह सीमित नहीं है।
देश के बदलते हुए मिजाज को समझना होगा। अब लोग सिर्फ स्टेशन बनने से संतुष्ट नहीं, पूछते हैं हमारे यहां वंदे भारत कब आएगी। रेल के आने से संतुष्ट नहीं, पूछते हैं एयरपोर्ट कब बनेगा।
5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी
130 करोड़ देश वासी यदि छोटी-छोटी चीजों को लेकर चल पड़ें तो 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी, कइयों को मुश्किल लगता है, लेकिन मुश्किल काम नहीं करेंगे तो देश आगे कैसे बढ़ेगा। मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी हमें हमेशा ऊंचे निशान रखने चाहिए। हमने भी रखा है, लेकिन वह हवा में नहीं है। 70 साल में हम 2 ट्रिल्यन डॉलर इकॉनमी में पहुंचे। 2014-2019 में हम 2 से 3 ट्रिलियन हो गए। अगर 5 साल में इतना बड़ा जंप लगाया तो हम आने वाले 5 साल में 5 ट्रिलियन डॉलर बन सकते हैं। यह सपना हर देशवासी का होना चाहिए।
एक्सपोर्ट की दिशा में करना होगा काम
हमारे देश को एक्सपोर्ट करना होगा। हम भी दुनिया के बाजारों में पहुंचने का प्रयास करें। दुनिया के छोटे-छोटे देशों मे जो ताकत होती है वह हमारे एक-एक जिले में है। हमने इस समार्थ्य को समझना है। हमारे हर जिले एक्सपोर्ट हब बनने के बारे में क्यों ना सोचे। किसी जिले के पास इत्र की पहचान है तो किसी में साड़ी और किसी के पास मिठाई। हमने ग्लोबल बाजार के उत्पादन करना है। दुनिया के बाजार को कैप्चर करने की दिशा में काम करेंगे तो युवाओं को रोजगार मिलेगा।
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई
शांति और सुरक्षा विकास के अनिवार्य पहलू हैं। दुनिया आज असुरक्षा से घिरी हुई है. दुनिया के किसी ना किसी भाग में किसी ना किसी रूप में मौत का साया मंडरा रहा है। विश्व शांति के लिए भारत को अपनी भूमिका निभानी होगी। भारत मूकदर्शक नहीं बना रह सकता है। भारत आतंकवाद फैलाने वालों के खिलाफ मजबूती से लड़ रहा है। विश्व के किसी भी कोने में आतंकवाद की घटना मानवतावाद के खिलाफ छेड़ा हुआ युद्ध है। मानवतावादी शक्तियां विश्वभर की एक हों। आतंकवाद को पनाह देने वाले, प्रोत्साहन देने वाले, एक्सपोर्ट करने वाली ताकतों को दुनिया के सामने उनके सही स्वरूप को प्रस्तुत करना, दुनिया की ताकत को जोड़कर आतंकवाद को खत्म करने के लिए भारत अपनी भूमिक अदा करे। कुछ लोगों ने सिर्फ भारत ही नहीं, हमारे पड़ोस के देशों को भी तबाह कर रखा है। बांग्लादेश, अफगानिस्ता जूझ रहा है। श्रीलंका में चर्च में बैठे निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। कितनी दर्दनाक बात है। जब हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ते हैं तो पूरे भूभाग की शांति के लिए अपनी भूमिका अदा करते हैं।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की घोषणा
आतंकवाद और हिंसा का मौहाल बनाने वालों को नेस्तानाबूत करना है। हमारे सैनिकों ने, हमारे सुरक्षाबलों और सुरक्षा एजेंसियों ने बहुत प्रशंसनीय काम किया है। मैं उनको नमन करता हूं। समय रहते रिफॉर्म की भी आवश्यकता हूं। अनेक सरकारों ने चर्चा की है अनेक रिपोर्ट आई है। इन सब में एक ही बात कही गई है। हमारी तीनों सेनाओं के बीच समन्वय है, लेकिन आज जैसे दुनिया बदल रही है, युद्ध के तरीके बदल रहे हैं। तब भारत को भी टुकड़ों में सोचने से काम नहीं चलेगा। हमारी सेना को भी एकमुश्त एक साथ आगे चलना होगा। जल, थल, नभ में एक एक कदम आगे रहे दूसरा दो कदम पीछे रहे तीसरा तीन कदम पीछे रहे तो नहीं चल सकता है। तीनों एक साथ आगे बढ़ें। विश्व में बदलते हुए युद्ध और सुरक्षा के माहौल हों, इन बातों को ध्यान में रखते हुए, आज मैं महत्वपूर्ण घोषणा करता हूं। अब हम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की व्यवस्था करेंगे। इस पद के गठन के बाद तीनों सेनाओं के शीर्षथ स्तर पर एक प्रभावी नेतृत्व मिलेगा।
प्लास्टिक थैली और नकदी को ना
इस 2 अक्टूबर से क्या हम सिंगल यूज थैली से देश को मुक्त करने की शुरुआत कर सकते हैं। 2 अक्टूबर को एक मजबूत कदम उठाएं। आइए हम इसे आगे बढ़ाएं। दुकानदार दुकान के बाहर लिख दें कि हमसे प्लास्टिक की थैली की मांग न करें, कपड़े का थैला लेकर आएं। वर्ना वे खुद ही कपड़े का थैला बेचना शुरू कर दें। मैं सभी दुकानदारों से आग्रह करूंगा कि दुकान पर एक बोर्ड यह भी लगाएं कि कृपया हमसे प्लास्टिक की थैली की अपेक्षा न करें। इस बार लोग दीवाली पर भी एक दूसरे को कपड़े का थैला उधार दे सकते हैं। हमें डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देना होगा। फिलहाल दुकानों पर आज नकद कल उधार बोर्ड लगा रहता है, अब डिजिटल पेमेंट को हां, नकद पेमेंट को ना का बोर्ड लगाने का वक्त है। मैं व्यापारियों को कहूंगा कि आप बोर्ड लगाते हैं- आज नकद, कल उधार। मैं चाहता हूं कि आप अब बोर्ड लगाएं- डिजिटल पेमेंट को हां, नकद को ना।