सामायिक अध्यात्म का पासपोर्ट और मोक्ष का वीजा – मुनि श्री जिनेश कुमार जी
पालघर। महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा2 के सान्निध्य में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के तत्वावधान में वृहद सामायिक कार्यशाला का आयोजन पालघर तेरापंथ युवक परिषद द्वारा तेरापंथ भवन में किया गया।
इस अवसर पर उपस्थित धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री जिनेश कुमार जी ने कहा प्रत्येक व्यक्ति सफलता चाहता है। सफलता का महामंत्र है वर्तमान में जिना। राग द्वेष से विरत रहना। जागरूकता व क्षमता के साथ जिना। समता का उपाय है सामायिक। आत्मा में रमण करना ही सामायिक है। सामायिक जैन साधना पद्धति की आधारशिला है। सामायिक अहम से अर्हम की यात्रा है। सामायिक वासना से उपासना, मृत्यु से अमरत्व व असंत से संत की यात्रा है। सामायिक विभाव नहीं स्वभाव है। समय में पापकारी प्रवृत्तियों का त्याग किया जाता है और 48 मिनट तक साधु जैसा जीवन जिया जाता है। मुनिश्री जी ने आगे कहा सामायिक अध्यात्म का पासपोर्ट व मोक्ष का वीजा है। दुनिया का सबसे सुखी व्यक्ति वह है जो सामायिक में जीता है। आचार्य श्री तुलसी ने अभिनव सामायिक का अवदान देकर श्रावक समाज पर महान उपकार किया है। हर श्रावक को प्रतिदिन सामायिक करनी चाहिए।
कार्यक्रम का शुभारंभ नमस्कार महामंत्र के उच्चारण से मंगलाचरण से हुआ। तेयुप व किशोर मंडल के सदस्यों ने विजय गीत का संगान किया। मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने सामायिक प्रत्याख्यान, श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन एवं अभिनव सामायिक का प्रयोग करवाया।
इस अवसर पर पालघर तेयुप के पूर्व प्रभारी राजेंद्र जी मुथा ने कार्यशाला के प्रति मंगल भावना प्रकट करते हुए अपने विचार रखें। चेन्नई से समागत चेन्नई सभा के पूर्व श्री. प्रकाश जी मुथा ने सामायिक का महत्व बताते हुए सभी को प्रतिनिधि सामायिक करने का आह्वाहन किया। स्वागत भाषण एव आभार ज्ञापन तेयुप अध्यक्ष हितेश सिंघवी ने व संचालन मुनि श्री परमानंद जी ने किया। सामायिक में लगभग 166 की उपस्थिति रही कुल 250 सामायिक हुई। कार्यशाला के संयोजक जयेश राठौड़ थे।यह जानकारी दिनेश राठौड़ ने दी।