अपराध पर जितनी भी फिल्में बनी हैं, उन्हें दर्शकों ने खूब पसंद किया है। आज तक जितनी भी फिल्में यूपी, बिहार, महाराष्ट्र के अपराध पर आई हैं, अधिकतर बॉक्स ऑफिस पर धमाल करती नजर आईं। बस, दिल से बनाई गई हों। ऐसी ही फिल्म लेकर आए हैं निर्देशक सुवेंदु राज घोष (एसआरजी)। सत्य घटना पर आधारित व 2 अगस्त यानि शुक्रवार को रिलीज हुई इस फिल्म की खास बात यह है कि इसकी कहानी की शुरुआत पश्चिम बंगाल से होकर झारखंड जाती है, जो नेपाल होते हुए बैंकॉक तक पहुंचती है और इसका इन्वेस्टीगेशन करती है बेस्ट बंगाल पुलिस। फिल्म में सभी बिन्दुओं पर खास ध्यान दिया गया है, निर्माता-निर्देशक ने इस फिल्म को बेहतरीन बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। विषय, कहानी, लोकेशन, किरदार, अदाकार सभी पर विशेष ध्यान दिया है। पश्चिम बंगाल, झारखंड, नेपाल और बैंकॉक तक के लोकेशन के चुनाव शानदार हैं। एमएस फिल्म प्रोडक्शन के बैनर तले बनी इस फिल्म की प्रोड्यूसर मीना सेठी मंडल हैं।
कहानी – फिल्म ‘चेज नो मर्सी टू क्राइम’ की शुरुआत होती है ट्रेन में हुई 90 करोड़ की लूट से। इस लूट के बाद पश्चिम बंगाल के पुलिस के बड़े अधिकारियों के होश उड़ जाते हैं और वे जल्द से जल्द इस केस को सुलझाने के लिए लग जाते हैं। केस की जिम्मेदारी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अविनाश (सुदीप मुखर्जी) को दी जाती है, जिसमें वे अपने मातहत भरोसेमंद पुलिस इंस्पेक्टर इमरान (दीपांजन बसक) व एक अन्य महिला पुलिस इंस्पेक्टर दीप्ती (रिया पॉल) के साथ केस के इन्वेस्टीगेशन में जुटते हैं। इमरान ट्रेवल एजेंट को पकड़ता है और पूछताछ में जो खुलासे होते हैं वे इसके तार पश्चिम बंगाल होते हुए झारखंड के एक बाहुबली से जोड़ते हैं, जो यहां का दबंग है और बाप जी नाम से मशहूर है। बाहुबली शैलेंद्र यादव (बाप जी) जो चाहता है वह हासिल कर लेता है, लोकल पुलिस उसकी मुट्ठी में है। उसका इकलौता बेटा (सतेंद्र यादव) है जिसकी खुशियों के लिए वह सबकुछ करता है। बेटे की चाहत है कि वह इलेक्शन लड़े लेकिन इसके लिए पार्टी फंड में पैसे देने के लिए 100 करोड़ में से कुछ पैसे कम पड़ते हैं, जिसका इंतजाम करने के लिए बाप जी एक व्यापारी को चुनता है और उसे बुलाकर जबरदस्ती 10 करोड़ के इंतजाम के लिए कहता है। व्यापारी के पास 10 करोड़ तो नहीं हैं लेकिन वह पैसे के इंतजाम का रास्ता बताता है और बाप जी और उसका इकलौता बेटा उस रास्ते पर निकल पड़ते हैं। पुलिस के बेस्ट बंगाल से चलकर झारखंड पहुंचना, केस के विभिन्न पहलुओं का ध्यान रखते हुए इन्वेस्टीगेशन, उनकी पेचीदगियां, राजनीतिक दखलंदाजी से बचने की चुनौती और सबसे खास बात करप्ट व्यवस्था की आंखों से बचकर अपराधियों तक पहुंचने की जद्दोजहद को बड़े बेहतर ढंग से दिखाया गया है। फ़िल्म में अमित सेठी, दीपांजन बसक, मुश्ताक़ खान, गरिमा अग्रवाल, गुलशन पांडेय, गार्गी पटेल, सुदीप मुख़र्जी, रमेश गोयल व समीक्षा गौर मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। इस रोमांचक कहानी को देखने के लिए थिएटर जरूर जाएं, फिल्म का एक सीन भी छोड़ने का मन नहीं करेगा।
अभिनय- लगभग सभी कलाकारों ने अच्छी अदाकारी की है। पुलिस टीम से लेकर अपराधी गैंग, बंगाली किरदारों से लेकर झारखंडी व नायक से लेकर खलनायक तक। सभी ने खूब मेहनत की है। फिल्म में 3 गीत हैं, जिन्हें कुमार शानू, तृषा एंड बुद्धा ने गाया है।
निर्देशनः सुवेंदु राज घोष का निर्देशन बढिया है। बिल्कुल भी भटकने नहीं देता। उन्होंने बारीकी के साथ-साथ लोकेशंस पर बहुत ध्यान दिया है। फिल्म को बड़ी ही खूबसूरती से निर्देशित किया है।
इस फिल्म को सुरभि सलोनी की तरफ से साढ़े 3 स्टार।
- दिनेश चक्रवर्ती ([email protected])