कैफे कॉफी डे के मालिक वीजी सिद्धार्थ के लापता होने के बाद ही तमाम तरह की आशंकाएं जताई जाने लगी थीं। उनका शव मिलने से पहले ही उनके कर्ज के संकट में घिरे होने की जानकारियां सामने आने लगी थीं, जिनके चलते उन्होंने संभवत: अपने जीवन को समाप्त कर लिया। इसके साथ ही एक लेटर भी सामने आया था, जिस पर सिद्धार्थ के साइन थे। यह लेटर उन्होंने कैफे कॉफी डे के सीनियर मैनेजमेंट को भेजा था। सिद्धार्थ ने इस पत्र में अपने संघर्ष, कैश के संकट और कर्जदाताओं के भारी दबाव का जिक्र किया था।
सिद्धार्थ ने लिखा, ‘मैं कहना चाहता हूं कि मैंने अपना सब कुछ दिया। मैंने उन सभी लोगों से माफी मांगना चाहता हूं, जिन्होंने मुझ पर भरोसा किया, आज मैं हार चुका हूं।’ ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने 27 जुलाई को बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को यह लेटर भेजा था। इसके ठीक दो दिन बाद 29 जुलाई की रात को वह अपने ड्राइवर से वॉकिंग की बात कहकर लापता हो गए थे।
सिद्धार्थ के सूइसाइड की बड़ी वजह पर्सनल होल्डिंग पर ₹5,500 करोड़ का कर्ज!
सिद्धार्थ की इस तरह से दुखद मौत भारत के कारोबारी जगत को स्तब्ध करने वाली है। बीते करीब दो दशकों में सिद्धार्थ ने कैफे कॉफी डे का जबरदस्त विस्तार किया। देश भर में 1,700 स्टोर्स खोले। देश भर में उन्होंने अपनी कंपनी को ब्रैंड के तौर पर स्थापित किया और स्टारबक्स जैसी मल्टिनैशनल कंपनी से मुकाबला किया। हालांकि इन सबके बीच वह कंपनी के विस्तार के मकसद से लिए गए कर्ज से जूझते रहे।
सिद्धार्थ की कामयाबी सभी की नजर में थी, लेकिन उनकी कंपनी पर बढ़ते कर्ज की जानकारी किसी को नहीं थी। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक सिद्धार्थ की फाइनैंशल डिटेल जो अब निकलकर सामने आ रही है, उसके मुताबिक वह बीते दो सालों से कर्ज को भरने के लिए अपने शेयरों को बेच रहे थे। यहां तक कि उन्होंने बहुत छोटी अवधि के लिए ऊंची ब्याज दरों पर लोन लेने शुरू कर दिए थे।
लापता होने से पहले फंड जुटाने गए थे मुंबई
यही नहीं कॉफी डे के नाम पर लिए जाने वाले शॉर्ट टर्म लोन्स की संख्या भी इस साल मार्च में खत्म हुए फाइनैंशल इयर में बढ़कर दोगुनी हो गई थी। सिद्धार्थ के करीबी एक शख्स ने बताया कि अपने लापता होने से पहले दो सप्ताह तक वह मुंबई में रहे थे और कर्ज से निकलने के लिए फंड जुटाने की कोशिश में थे। उन्हें जुलाई और अगस्त की पेमेंट करनी थी। उनके लापता होने के बाद 30 जुलाई को कंपनी ने मीटिंग बुलाई थी और कहा था कि ऑपरेशंस पहले की तरह ही जारी रहेंगे।
100 कंपनियां फंसी हैं कर्ज के कुचक्र में
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी केयर रेटिंग्स के चीफ इकॉनमिस्ट मदन सबनवीस ने कहा, ‘यह संकट सिर्फ कैफे कॉफी डे के साथ ही नहीं है बल्कि देश में ऐसी करीब 100 कंपनियां हैं, जिन्हें रिफाइनैंस नहीं हो पा रहा है। यह बड़ा संकट है।’ उन्होंने कहा कि यह ऐसी चीज नहीं है, जो लंबे समय तक चल सके क्योंकि हम इस तरह की स्थिति में हैं, जहां इकॉनमी मुश्किल दौर से गुजर रही है।
किसान ही नहीं कारोबारी भी हैं मुश्किल में
भारतीय मीडिया में अकसर कर्ज न चुका पाने के चलते किसानों के आत्महत्या करने की खबरें छाई रहती हैं। लेकिन देश की एक दिग्गज कंपनी के फाउंडर के जान देने से यह सच्चाई उजागर हुई है कि संकट अब ऐग्जिक्युटिव क्लास के बीच भी पैदा हुआ है।
किसान ही नहीं कारोबारी भी हैं मुश्किल में
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