संत धर्म संस्कृति के संवाहकः मुनि रमेश कुमार
संत सदा आत्मस्थ रहते हैः मुनि ज्ञानेन्द्र कुमार
चैन्नई (ट्रिप्पलिकेन)। महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी के विद्वान सुशिष्य मुनिश्री रमेश कुमार जी अपने सहवर्ती मुनि सुबोध कुमार जी के साथ आज चातुर्मास के लिए ट्रिप्पलिकेन स्थित तेरापंथ भवन में प्रवेश किया । मुनि द्वय को प्रवेश कराने के लिए मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी अपने सहवर्ती मुनि विनीत कुमार जी, मुनि विमलेश कुमार जी के साथ अपना सान्निध्य प्रदान कराया ।
ऐलिस रोड स्थित बसन्तराज जी मरलेचा के निवास स्थान से स्वागत जुलूस रवाना हुआ जो मुख्य मार्गों से होता हुआ सिंग्राचरी स्ट्रीट तेरापंथ भवन पहुंचा। वहां जुलूस स्वागत सभा के रुप परिणत हुआ। श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी ट्रस्ट ट्रिप्पलिकेन के द्वारा स्वागत समारोह का आयोजन किया गया । जिसकी अध्यक्षता शिक्षाविद् बी एल आच्छा ने की । मुख अतिथि ट्रिप्पलिकेन स्थानकवासी संघ के मैनेजिंग ट्रस्टी देवीचन्द जी मरलेचा और विशिष्ट अतिथि मूर्ति पूजक संघ के अध्यक्ष गौतम चन्द जी छाजेड थे ।
स्वागत समारोह को सम्बोधित करते हुए मुनि रमेश कुमार जी ने कहा- संत धर्म संस्कृति के संवाहक होते हैं । संस्कारों को संपोषित करते हैं । संतों का जीवन , संतों का आचरण, संतों का विचरण धर्म संस्कृति के उन्नयन के लिए होता है। संतों को सरिता से भी उपमित किया जाता है जैसे नदी जहाँ बहती है उस धरा को हरी भरी बना देती है वैसे ही संत जनमानस के हृदय को हराभरा बनाने का कार्य करते हैं । हमारे चातुर्मास में संवर धर्म और निर्जरा धर्म की विशेष आराधना करेगे ऐसा मुझे विश्वास है । आपने मुनिश्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी स्वामी के प्रति हृदय से कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा – आज हमारे प्रवेश पर आप तीनों संत पधारे यह हमारे लिए प्रसन्नता की बात है।
मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ने संतों का स्वागत करते हुए कहा- स्वागत कौन करता है ? स्वागत क्या होता है ? इसे जानना और समझना चाहिए । स्व आगत शब्द से स्वागत बना है अर्थात् अपने आप में स्थित होने का नाम स्वागत है। संत सदा अपने आप में आत्मस्थ होते हैं । चातुर्मास में आत्मस्थ बनने की प्रेरणा देते हैं । संतों के प्रवचन को केवल सुनना ही नहीं है उस पर चिंतन भी करना चाहिए । परिवर्तन यदि विचारों में भी आ जाये तो आचरण में भी आ जाता है । आपने आगे कहा दोनों ही संत कर्मठ एवं लोगों को जोडने वाले है जिससे यहाँ पर अच्छी धर्म जागृति आयेगी।
मुनि सुबोध कुमार जी ने कहा- हर पर्वत पर माणक नहीं होता । गजमुक्ता हर हाथी के मस्तिष्क में नहीं होती वैसे ही पांच महाव्रतधारी संतों का चार महिने के लिए सान्निध्य हर किसी को नहीं मिलता है। मुनि विनीत कुमार जी ने कहा – संत फूल की तरह है और आप सब भंवरे की तरह । जैसे फूल की सुवास भंवरे को आकर्षित करती है वैसे ही संतों की संगत सबको आकर्षित करने वाली होती है। संत रुपी फूल से आप कितना रस लेते हैं ये आप पर निर्भर है। मुनि विमलेश कुमार जी ने कहा- संत हीरे के समान है ।आप सब जौहरी है । जौहरी हीरे के पारखी होते है वैसे ही आप संतों को पहचानने में पारखी होते हैं ।
इससे पूर्व स्वागत समारोह का शुभारंभ मुनि ज्ञानेन्द्र कुमार जी ने नमस्कार महामंत्रोच्चारण से हुआ । तेरापंथ कन्या मंडल ने मंगलाचरण किया । श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी ट्रस्ट ट्रिप्पलिकेन के अध्यक्ष गौतम चन्द जी सेठिया ने अपने संयोजकीय भाषण में आचार्य श्री महाश्रमण के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए संतों का पूरे चैन्नई श्रावक समाज की ओर से भावभरा स्वागत किया । सभी संतों का और अतिथियों का परिचय दिया। अतिथियों को साहित्य भेंट कर सम्मानित किया गया । मुख्य अतिथि शिक्षाविद् बी एल आच्छा ने कहा मैं संतों को बीज के रुप में देखता हूँ । पत्ते ,फल, फूल से भी ज्यादा महत्व बीज का होता है जिसमें पौधे को उत्पन्न करने की क्षमता होती है । चातुर्मास धर्म आराधना का सीजन होता है हम सब अधिक से अधिक धर्म आराधना करेंगे । अपने आप को संतुलित रखने का अभ्यास करें । ज्ञान , दर्शन तप से अपने आप को सुधारेंगे तभी भीतर से संतुलन स्थापित कर सकेंगे । ट्रिप्पलिकेन ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं ने अष्ट मंगल से स्वागत करते हुए चातुर्मास मंगलमय बनाने की इच्छा व्यक्त की । अष्ट मंगल की बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति दी । तेरापंथ महिला मंडल ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया । ट्रिप्पलिकेन ज्ञानशाला के माणकचन्द ने संतों के स्वागत पर संकल्प पत्र भेंट किये । तेरापंथ सभा की ओर से उपाध्यक्ष केवलचन्द जी माण्डोत, तेरापंथ युवक परिषद् की ओर से उपाध्यक्ष मुकेश नवलखा । तेरापंथ महिला मंडल की ओर से नव निर्वाचित अध्यक्षा शांति दुधोडिया , तेरापंथ प्रोफेशनल फार्म की ओर से कमल बोहरा अणुव्रत समिति के मंत्री जितेन्द्र समदङिया ने स्वागत करते हुए संतों को विश्वास दिलाया चातुर्मास में आपके इंगितानुसार हम सभी कार्य करने तैयार है ।श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी ट्रस्ट ट्रिप्पलिकेन के मंत्री सुरेश जी संचेती ने आभार ज्ञापित किया ।
स्वागत समारोह के पश्चात चैन्नई के सेवाभावी कर्मठ कार्यकर्ता राजेन्द्र जी हीरावत ने कहा आज के अवसर पर मुझे आप आशीर्वाद दे मैं चैन्नई के 2500 ग़रीब परिवार को आवास उपलब्ध कराऊंगा । सामाजिक परोपकार की दृष्टि से यह भी अच्छी सोच अच्छा कार्य है ।