रक्षा बंधन पर आत्म उन्नयन के पथ पर बढ़ने का संकल्प लें:  साध्वी श्री आणिमाश्रीजी

मुम्बई। साध्वी श्री आणिमाश्रीजी व साध्वी श्री मंगलप्रज्ञा जी के सांनिध्य में रक्षा बंधन के अवसर पर आत्म उन्नयन कार्यशाला का आयोजन किया गया। साध्वी श्री आणिमाश्रीजी ने पावन संबोध प्रदान करते हुए कहा आज का पावन दिन जिसे हम रक्षा बंधन के नाम से जान रहे है, सबके भीतर अतिरिक्त आह्लाद का वर्णन कर रहा है। आज रक्षा बंधन का यह पर्व भाई बहन तक सिमिटकर रह गया है। जब बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती है, तो भाई बरगद की छाव बनकर उसे संरक्षण प्रदान करने का वादा करता है। आज अर्थ की अंधी दौड़ में थे रिश्ते चरमरा रहे है। भाई बहन के पीछे रिश्तों में भी दरार आ रही है, जीवन मे कटुता धुलती जा रही है।
साध्वी श्री ने कहा यह कटुता चहकती , महकती , हसती खिलती जिंदगी में कटुता का जहर घोल देगी। सोचे यह जीवन चार दिन का है। कल का तो क्या आने वाले पल का भी भरोसा नही है, तो फिर क्यों हम कषायों के द्वारा आत्मा को मैली कर रहे है। आवेश , आवेग, हमारी आत्मा को दूषित कर रहे है। आज के दिन हम अपने आवेश आवेग को शान्त करने का संकल्प ले। कषायों के आत्मीकरण की ओर अग्रसर हो तभी हम आत्म उन्नयन की ओर अग्रसर हो पाएंगे।
साध्वी श्री मंगलप्रज्ञा जी ने मंगल संबोध प्रदान करते हुए कहा जैन दृष्टि से आज पक्खी प्रतिक्रमण का दिन है, प्रतिक्रमण एक ऐसी विधा है जो आत्म की रक्षा कर आत्मा को निर्मल बनाती है। प्रतिक्रमण आत्म प्रदेशों पर लगे कर्म रूपी कचरे की सफाई करता है। प्रतिक्रमण साधक को आत्मिक संपोषण व विवेक दृष्टि प्रदान करता है। हम प्रतिक्रमण का संकल्प लेकर रक्षा बंधन का पर्व मनाए एवं आत्म उत्थान के पथ पर आगे बढ़े। साध्वी श्री कर्णिका श्रीजी, सुधाप्रभाजी, स्मतव्यशाजी, व साध्वी मैत्रीप्रभा जी, ने साध्वी आणिमाश्रीजी द्वारा रचित गीत रखी आई रे गीत का भावपूर्ण संगान करते हुए। परिषद को हिरे सोने की व चांदी की राखी बंधवाने का आवाहन किया। पूरी परिषद ने साध्वी श्रीजी से राखी बंधवाकर हार्दिक प्रसन्नता की अनुभूति की यह जानकारी दक्षिण मुंबई मीडिया प्रभारी नितेश धाकड़ ने दी।

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