रायपुर, ईएमएस। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के युवा कलेक्टर ओपी चौधरी ने अपना इस्तीफा केंद्र सरकार को भेज दिया है। अब वे भाजपा में शामिल होंगे और हाल ही में होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। चौधरी ने सोशल मीडिया फेसबुक पेज पर भी अपने फैसले के बारे में जानकारी दी है। चौधरी 2005 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) हैं। 37 साल के चौधरी रायपुर के जिलाधिकारी हैं। वह केवल 23 साल की उम्र में आईएएस बन गए थे। भाजपा सूत्रों का कहना है कि वे गृहनगर रायगढ़ जिले की खारसिया सीट से विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। घोर नक्सली क्षेत्र दंतेवाड़ा कलेक्टर रहते हुए चौधरी ने जिले में शिक्षा में बदलाव लाया था। खरसिया विधानसभा सीट छत्तीसगढ़ के प्रमुख विधानसभा सीट में से एक है। यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है और यहां से अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री तथा कांग्रेस के कद्दावर नेता अर्जुन सिंह भी चुनाव लड़कर विजयी हुए थे। आजादी के बाद से अब तक इस सीट से भाजपा कभी नहीं जीती। अब चौधरी यहां से भाजपा के चेहरा बनेंगे। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनावों से पहले बस्तर के दरभा क्षेत्र में झिरम घाटी नक्सली हमले में मारे गए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल के बेटे उमेश पटेल खरसिया विधानसभा क्षेत्र के मौजूदा विधायक हैं।
चौधरी क्योंं दिला सकते हैं विजय
कलेक्टर चौधरी रायगढ़ जिले में अन्य पिछड़ा वर्ग के अघरिया समुदाय से आते हैं इसी समुदाय से आने वाले उमेश पटेल वर्तमान विधायक हैं। अघरिया पटेल को क्षेत्र में कांग्रेस का वोट बैंक माना जाता है। चौधरी के यहां से चुनाव लडऩे से कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लग सकती है। चौधरी पिछले छह महीनों से रायगढ़ और खरसिया क्षेत्र में सक्रिय हैं।
कांग्रेस बोली, चौधरी आरएसए के एजेंट
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने चौधरी को आरएसएस का एजेंट कहा और उन पर अपनी सेवा के दौरान सत्तारूढ़ भाजपा का समर्थन करने का आरोप लगाया।
गरीब किसान परिवार से आते हैं चौधरी
चौधरी रायगढ़ के बायंग गांव के किसान परिवार में जन्मे। दंतेवाड़ा का जिलाधिकारी रहते हुए शिक्षानगरी बनाने के कारण इन्हें अवॉर्ड्स फॉर एक्सीलेंस इन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दिया था।
चौधरी छठवीं कक्षा में अंग्रेजी पढऩी शुरू की थी। 8 साल की उम्र में चौधरी के पिता का निधन हो गया था। ऐसे में मां ने मेहनत करके उन्हें पढ़ाया।
जमीनी पकड़ मजबूत
चौधरी कहते हैं- जैसे ही आप बड़े ओहदे पर आते हैं, आपकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। ऐसे में आपकी परवरिश और संस्कार ही आपको जमीनी हकीकत से जोड़े रखती है। आज जमीनी हकीकत के जितने नजदीक होते हैं, उतने ही उसपर खरे उतरते हैं।