-विधानसभा भवन व कर्नाटक हाईकोर्ट के सामने से गतिमान हुए अहिंसा यात्रा प्रणेता
-लगभग सात किलोमीटर का विहार कर गांधीनगर के तेरापंथ भवन में पधारे तेरापंथ अनुशास्ता
-सेंट्रल काॅलेज के मैदान से आचार्यश्री ने आत्मा को मित्र बनाने की दी पावन प्रेरणा
-गांधीनगर के श्रद्धालुओं की पूज्यचरणों में अर्पित की भावांजलि
25.06.2019 गांधीनगर, बेंगलुरु (कर्नाटक): सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की ज्योति जलाते, भारत के प्रमुख प्रौद्योगिकी केन्द्र बेंगलुरु महानगर के कोने-कोने को अपने ज्योतिचरण से ज्योतित करते हुए जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी अहिंसा यात्रा संग मंगलवार को गांधीनगर में पधारे। अपने आराध्य को अपने नगर में पाकर गांधीनगरवासियों का उल्लास अपने चरम पर था। चारों ओर आचार्यश्री के संदेश और जयकारे वातावरण को महाश्रमणमय बना रहे थे। मंगलवार को प्रातः आचार्यश्री ने अपनी अहिंसा यात्रा के साथ काक्स टाउन से गांधीनगर के लिए मंगल प्रस्थान किया। बेंगलुरु के खुशनुमा माहौल में गतिमान आचार्यश्री कुछ किलोमीटर की यात्रा के पश्चात् कर्नाटक राज्य के विधानसभा भवन के सामने वाले मार्ग पर पधारे। एक ओर कर्नाटक राज्य का विधानसभा भवन तो दूसरी को कर्नाटक का हाईकोर्ट और उसके मध्य स्थित रास्ते पर तेरापंथ के अधिशास्ता के कुशल नेतृत्व में गतिमान अहिंसा यात्रा लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई थी। विधानसभा भवन के आसपास सैकड़ों लोगों ने आचार्यश्री के दर्शन किए और आशीष से मंगल आशीर्वाद प्राप्त किए।
लगभग सात किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री अपनी धवल सेना के साथ गांधीनगर में पधारे तो मानों गांधीनगरवासी अपने भाग्य पर इठला उठे। हो भी क्यों न, क्योंकि अपने घर-आंगन में स्वयं उनके भगवान पधारे थे। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री गांधीनगर में स्थित तेरापंथ भवन में पधारे। तेरापंथ भवन में तेरापंथ के अनुशास्ता का मंगल पदार्पण जन-जन को आह्लादित बनाने वाला था। भवन से कुछ दूरी पर स्थित सेंट्रल काॅलेज के मैदान में आज का मुख्य प्रवचन कार्यक्रम समायोजित हुआ।
आचार्यश्री ने समुपस्थित श्रद्धालुओं को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि हमारी दुनिया में कई लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें हम अपना मित्र अथवा हितैषी कहते हैं, जो हमारा हित करने वाले हो सकते हैं और कुछ ऐसे भी लोग होते हैं, जिन्हें हम अपना शत्रु मानते हैं और उनसे अहित होने की आशंका भी कर सकते हैं। एक दृष्टि से देखा जाए तो कोई हमारा मित्र नहीं और कोई हमारा शत्रु नहीं। मनुष्य की आत्मा ही मनुष्य की मित्र और मनुष्य की शत्रु हो सकती है। सत्कार्यों, धर्माचारी आत्मा मानव का मित्र और दुराचारी, अधर्मी, पापाचारी आत्मा मानव का दुश्मन होती है। कंठ छेदन करने वाला शत्रु भी उतना बड़ा शत्रु नहीं होता, जितनी दुष्प्रवृति में लगी आत्मा होती है। आदमी को सदाचार, धर्माचार युक्त जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। धर्माचरण की सम्पत्ति से बड़ी कोई सम्पत्ति नहीं, यह आगे के जीवन में भी काम आ सकती है। आचार्यश्री गांधीनगरवासियों को पावन प्रेरणा और मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। बेंगलुरु में चतुर्मास करने वाली साध्वी कंचनरेखाजी को आचार्यश्री ने मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। गांधीनगरवासियों ने श्रीमुख से सम्यक्तव दीक्षा ग्रहण की।
साध्वी कंचनरेखाजी ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावांजलि अर्पित की तथा अपने ठाणे के अन्य साध्वियों संग गीत के माध्यम से भी पूज्यचरणों की अभिवन्दना की। आचार्यश्री ने उन्हें आशीष प्रदान करते हुए इस वर्ष का चतुर्मास गुरुकुलवास में करने का आदेश भी प्रदान किया।
आचार्यश्री के स्वागत में दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र हेगड़े, तेरापंथी सभाध्यक्ष व बेंगलुरु चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री मूलचंद नाहर, तेरापंथ ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री बहादुर सेठिया, उपाध्यक्ष श्री गौतमचंद मुथा, तेयुप अध्यक्ष श्री रोहित कोठारी, महिला मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती अनीता गांधी, टीपीएफ अध्यक्ष श्री हिम्मत मांडोत, अणुव्रत अध्यक्ष श्री कन्हैयालाल चिप्पड़, तेरापंथी सभा के मंत्री श्री प्रकाश लोढ़ा, उपाध्यक्ष श्री कैलाश बोराणा, ज्ञानशाला कर्नाटक प्रभारी श्री माणकचंद संचेती, तेरापंथ श्रावक समाज, गांधीनगर की ओर से श्रीमती विजेता रायसोनी, काॅर्पोरेटर श्रीमती लता नवीन राठौड़, काॅर्पोरेटर-चिकपेट श्री शिवकुमार, महासभा के पूर्व अध्यक्ष श्री हीरालाल मालू, श्री दीपक भाई हकानी व रवि नाहटा आदि ने अपनी हर्षित भावाभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ युवक परिषद ने गीत के माध्यम से श्रीचरणों में अपनी भावांजलि अर्पित की।