नई दिल्ली:केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को उपभोक्ता संरक्षण कानून को मंजूरी दे दी, इससे ग्राहकों को तमाम अधिकार दिए गए हैं। इसमें सबसे अहम है कि किसी उपकरण या सामान की खराबी पर विक्रेता, निर्माता दोनों पर शिकंजा कसेगा। यह विधेयक पिछली लोकसभा के दौरान भी पेश किया था, लेकिन राज्यसभा से पारित नहीं हो पाने के कारण अस्तित्व में नहीं रहा। नया कानून 1986 के उपभोक्ता संरक्षण कानून की जगह लेगा। विधेयक के तहत उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा और निगरानी के लिए एक कार्यकारी समिति बनाने का भी प्रावधान होगा।
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण एजेंसी बनेगी
विधेयक में प्रावधान किया गया है कि एक केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण एजेंसी का गठन किया जाएगा। इसकी राज्य और जिला स्तर पर शाखाएं होंगी, जो ग्राहकों की शिकायतों को सुनेंगी। ऐसे में किसी भ्रामक विज्ञापन या किसी अनुचित व्यापार के तरीकों से ग्राहकों को नुकसान पहुंचता है तो प्राधिकरण मुआवजा तय करेगा। प्राधिकरण को यह आदेश देने का अधिकार होगा कि वह आरोपी कंपनी को सारे उत्पाद वापस लेने और ग्राहकों को उसका पैसा लौटाने को कहे। अमेरिकी संघीय व्यापार आयोग की तरह इस कानून को बनाया गया है।
अगर मामले का व्यापक प्रभाव पड़ा है तो क्लॉस सूट एक्शन शुरू किया जाएगा। यानी उत्पाद के विनिर्माता या सेवा आपूर्तिकर्ता कंपनी को व्यापक जवाबदेही होगी। विधेयक के तहत क्लॉस एक्शन सूट का प्रावधान जोड़ा गया है, यानी कि किसी खराब सामान या सेवा पर निर्माता या सेवा देने वाले की जिम्मेदारी सिर्फ प्रभावित ग्राहक तक नहीं होगी, बल्कि उस सेवा से जुड़े सभी उपभोक्ताओं तक होगी।
पांच साल तक जेल खराब उत्पाद पर
अगर उत्पाद से किसी को शारीरिक हानि या मौत होती है तो इसमें विनिर्माता, सेवा प्रदाता और विक्रेता तीनों की जवाबदेही तय की जाएगी। इसमें घटिया उपकरणों के उत्पादन, आपूर्ति और गलत ढंग से इसकी बिक्री को लेकर कंपनी पर शिकंजा कसा जाएगा। उस पर 5 साल जेल और 50 करोड़ तक जुर्माना हो सकता है।
एक बार में ही सुनवाई
बिल में प्रावधान होगा कि ग्राहकों की शिकायत की सुनवाई लंबी नहीं चलेगी, यानी कि जिला, राज्य या राष्ट्रीय स्तर में एक ही जगह सुनवाई होगी। ग्राहक और आरोपी कंपनी के बीच निपटारे के लिए भी एक तंत्र होगा, जिससे विवादों का तेजी से निपटारा हो सके।
ई-कॉमर्स कंपनियां भी दायरे में
नए विधेयक के तहत ई-कॉमर्स कंपनियों की भी जवाबदेही बढ़ेगी। उन्हें उत्पाद के निर्माण, उसकी लेबलिंग, दुष्प्रभाव समेत सारी जानकारी देनी होंगी। वे ग्राहकों की खरीदारी का डाटा किसी तीसरे पक्ष को नहीं बेच पाएंगी। अगर उत्पाद में खराबी पाई गई तो ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी यह कहकर नहीं बच पाएगी कि वह तो केवल सामान उपलब्ध कराने का सिर्फ एक मंच है।
भ्रामक विज्ञापन पर जेल व जुर्माना
इसमें भ्रामक विज्ञापन के जरिये ग्राहकों से किए गए धोखे पर भी सख्ती है। भ्रामक विज्ञापन पर निर्माता व सेवा प्रदाता को दो साल जेल या दस लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है। विज्ञापन करने वाले सेलेब्रिटी पर भी जुर्माना होगा। बिल में भी यह कहा गया है कि अगर कोई किसी कंपनी या विक्रेता के खिलाफ गलत शिकायत करता है तो दस से 50 हजार रुपये तक जुर्माने का प्रावधान उस पर लगाया जा सकता है।