मुंबई। कालबादेवी के प्रांगण में तपस्या का अभिनंदन शासन श्री साध्वी श्रीजी कैलाश वती के सानिध्य में रखा गया ।
दादर महिला मंडल की संयोजिका रंजना कोठारी ने। भावपूर्ण गीतिका के द्वारा काव्या कोठारी का अभिनंदन किया।
नवीन जी कोठारी की सुपुत्री काव्या ने तेरेस के उपवास के साथ आठ की तपस्या में स्नान किया।
तप सरिता विलक्षण सरिता है जो व्यक्ति इसमें नहाता है वो अपनी काया , मन वचन को कुंदन बना देता है। कोई संकट अाता है तो तप से वो संकट टल जाता है। राजा कृष्ण जी की द्वारिका तक बची रही जब तक आयंबिल की तपस्या चलती रही । शासन श्री कैलाशवती जी ने आगे फरमाया काव्या कोठारी ने बड़े उत्साह के साथ तपस्या की है वह तपस्या के मार्ग पर आगे बढ़ती रहे ।
साध्वी श्री पंकज श्री जी ने “घुंगरू छम छम बजे रे काव्या की तपस्या पर सबका दिलडा नाचे रे” इस गीत के माध्यम से सबका दिल भावविभोर कर दिया। उपासक डालचंद जी कोठारी ने एवं कोठारी परिवार ने गीतिका एवं विचार रखे तप अनुमोदना करने वाले भाई बहनों की अच्छी उपस्थिति रही ।तपस्वी बहन काव्या कोठारी का अभिनंदन साहित्य देकर कन्हैयालाल मेहता ने रिटर्न गिफ्ट तेले की तपस्या देकर किया । साध्वी शारदा प्रभा जी ने प्रोग्राम का संयोजन करते हुए कहा तप पूर्व संचित कर्मो का क्षय करता है आत्मा निर्मल बनती है
काव्या कोठारी का तप अभिनंदन
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