नई दिल्ली:सरकार देशभर के श्रमिकों को जल्द ही समान न्यूनतम वेतन का तोहफा दे सकती है। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए श्रम मंत्रालय अगले सप्ताह वेतन संहिता विधेयक के मसौदे को मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के समक्ष रख सकता है। मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के बाद इस विधेयक को संसद के चालू सत्र में रखा जाएगा। एक सूत्र ने कहा कि मंत्रालय संसद के मौजूदा सत्र में इस विधेयक को पारित कराना चाहता है। संसद से इस विधयेक को मंजूरी मिलने के साथ ही देशभर में श्रमिकों के लिए समान न्यूनतम वेतन देने का रास्ता साफ हो जाएगा।
विधेयक में प्रावधान किया गया है कि केंद्र सरकार रेलवे और खनन समेत कुछ क्षेत्रों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय करेगी, जबकि राज्य अन्य श्रेणी के रोजगारों के लिए न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र होंगे। विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि न्यूनतम मजदूरी में हर पांच साल में संशोधन किया जाएगा। गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में, गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई अंतर-मंत्रालयी बैठक के बाद श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा था कि उनका मंत्रालय संसद के चालू सत्र में इस विधेयक को पारित कराने का प्रयास करेगा। इस बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तथा वाणिज्य और रेल मंत्री पीयूष गोयल भी मौजूद थे।
2017 में पेश किया गया था विधेयक
वेतन संहिता विधेयक को 10 अगस्त 2017 को लोकसभा में पेश किया गया था। इसके बाद 21 अगस्त 2017 को यह बिल संसद की स्टैंडिंग कमेटी को भेज दिया गया था। कमेटी ने 18 दिसंबर 2018 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। 16वीं विधानसभा के भंग होने के कारण यह विधेयक पास नहीं हो पाया था। मंत्रालय को अब विधेयक को संसद के किसी भी सदन में नए सिरे से पेश करने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की अनुमति की जरूरत होगी। सूत्र ने कहा, मंत्रिमंडल वेतन संहिता विधेयक पर अगले महीने मंजूरी दे सकता है। श्रम मंत्रालय इस विधेयक को संसद के मौजूदा सत्र में ही पारित कराना चाहता है।
चार श्रेणियों में मिल जाएंगे 44 पुराने कानून
वेतन संहिता विधेयक सरकार की ओर से परिकल्पित चार संहिताओं में से एक है। ये चार संहिताएं पुराने 44 श्रम कानूनों की जगह लेंगी। यह निवेशकों की सहूलियत और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए निवेश को आकर्षित करने में मदद करेंगी। ये चार संहिताएं हैं- वेतन, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक सुरक्षा एवं कल्याण और औद्योगिक संबंध हैं। वेतन संहिता विधेयक, मजदूरी भुगतान अधिनियम 1936, न्यूनतम मजदूरी कानून 1948 , बोनस भुगतान कानून 1965 और समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 की जगह लेगा।
महिलाओं की सुरक्षा तय होगी
नए श्रम विधेयक में महिला कर्मचारियों की सुरक्षा को सर्वोपरि माना गया है। विधेयक के अनुसार, महिलाओं के लिए कार्य अवधि सुबह छह बजे से लेकर शाम सात बजे के बीच होनी चाहिए। अगर, इस समयावधि के बाद महिलाएं काम करती हैं तो नियोक्ता को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। इसके अलावा, अवकाश के दिन महिला कर्मचारी को काम पर नहीं बुलाया जा सकता है। अगर उनको बुलाना अत्यावश्यक हो तो नियोक्ता को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।
कामगारों को फायदा होगा
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया, नए विधयेक में हमने श्रमिकों के लिए कानून को आसान और बेहतर बनाने की कोशिश की है। हमने श्रमिकों और नियोक्ताओं के अधिकारों के बीच संतुलन सुनिश्चित करने की भी कोशिश की है। इससे देशभर के श्रमिकों को फायदा मिलेगा।