-आरम्भ हुई भारत के प्रौद्योगिक केन्द्र वाले महानगर की उपनगरीय यात्रा
-लगभग बारह किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री पहुंचे ‘ह्वाइट फेदर’ परिसर
-अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर महातपस्वी ने योग को किया व्याख्यायित
-कई संतों और विशिष्ट महानुभावों ने किए आचार्यश्री के दर्शन
-आचार्यश्री की विभिन्न कृतियां कन्नड़ भाषा में हुई लोकार्पित
21.06.2019 इलेक्ट्राॅनिक सिटी, बेंगलुरु (कर्नाटक): भारत के ‘सिलिकाॅन वैली’ बेंगलुरु महानगर में प्रवेश के पश्चात् शुक्रवार को प्रातः जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान देदीप्यमान महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी अहिंसा यात्रा के साथ उपनगरों की यात्रा आरम्भ की। आचार्यश्री अपनी धवल सेना के साथ महानगर के मार्ग पर गतिमान हुए तो अब विहार पथ में हरियाली कम बहुमंजिले इमारतें अधिक दिखाई दे रही थीं। एक से बढ़कर एक आर्किटेक्ट और इमारतों की डिजाइन इस महानगर की शान में चार चांद लगा रहे थे। मार्ग पर वाहनों की अधिकता के बीच गतिमान अहिंसा यात्रा यहां के लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनी हुई थी। अपने कार्य क्षेत्र की ओर तेज गति से वाहन से अथवा पैदल जाते भी लोग जब आचार्यश्री महाश्रमणजी की अहिंसा यात्रा को देख रहे थे तो एकबार उनकी रफ्तार स्वतः धीरे हो जा रही थी और जब किसी को इस यात्रा का उद्देश्य, आचार्यश्री के महान व्यक्तित्व के विषय में जानकारी हो जाती तो वह फिर आशीर्वाद प्राप्त कर ही अपने गंतव्य की ओर आगे बढ़ रहा था। लगभग बाहर किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री ‘इलेक्ट्राॅनिक सिटी’ के ‘ह्वाइट फेदर’ परिसर में पधारे।
इस परिसर में बने प्रवचन पंडाल में समुपस्थित श्रद्धालुओं को आचार्यश्री ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी के जीवन में शक्ति का बहुत महत्त्व होता है। आदमी को अपनी शक्ति का विकास और उसकी सुरक्षा करने का प्रयास करना चाहिए। योग एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा शक्ति का विकास भी किया जा सकता है और उसकी सुरक्षा भी की जा सकती है। आचार्यश्री ने योग के व्यापक महत्त्व को बताते हुए अष्टांग योग की और लोगों को अच्छे आध्यात्मिक कार्यों मंे अपनी शक्ति का नियोजन करने को उत्प्रेरित किया।
आचार्यश्री के साथ मंचासीन वेदी मठ के पीठाधीश्वर शिवरूद्रा महास्वामीजी तथा अरुणाभारती महास्वामीजी ने आचार्यश्री और अहिंसा यात्रा के संदर्भ में अपनी विचाराभिव्यक्ति दी एवं आचार्यश्री के दर्शन को अपना सौभाग्य बताया। वहीं आचार्यश्री के कृतियों के कन्नड़ अनुवादित पुस्तकों के विमोचन कार्यक्रम में उपस्थित दक्षिण बेंगलुरु के विधायक श्री एम. कृष्णप्पा, पूर्व एमएलसी तथा सीएमडी भारत गोल्डस्टार ग्रुप श्री दयानंद रेड्डी ने आचार्यश्री के दर्शन कर पावन पथदर्शन प्राप्त करने के उपरान्त अपनी भावाभिव्यक्ति दी। जैन विश्व भारती की ओर श्री दिलीप सुराणा, बेंगलुरु चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री मूलचंद नाहर, महामंत्री दीपचंद नाहर, अभातेयुप अध्यक्ष श्री विमल कटारिया, विधायक व एमएलसी द्वारा अनुदित पुस्तकों को आचार्यश्री के समक्ष लोकार्पित की। इस अवसर पर श्री ललित आच्छा, श्री प्रकाश लोढा व श्री अशोक सकलेचा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। वर्षों बाद आचार्यश्री का दर्शन करने वाली साध्वी कीर्तिलताजी ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी तथा अपने सिंघाड़े के साथ गीत के द्वारा अपने आराध्य के श्रीचरणों की अभ्यर्थना की। तत्पश्चात् आचार्यश्री ने उन्हें मंगल आशीर्वाद प्रदान किया।