इंदौर: सरकारी जमीन पर कब्जा कर इसी तरह धर्मस्थल बनते रहे और हम इसे सहन करते रहे तो आम जनता का जीना मुश्किल हो जाएगा। अवैध कब्जे होना ही नहीं चाहिए। हो भी जाएं तो स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि तुरंत कार्रवाई कर इन्हें हटाएं, लेकिन सामान्यत: ऐसा होता नहीं। यह तल्ख टिप्पणी हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान की।
दरअसल, मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले की सीतामऊ तहसील के टप्पा कयामपुरा में सरकारी जमीन पर धर्मस्थल बना लिया गया है। लोगों ने इस पर आपत्ति लेते हुए प्रशासन से शिकायत भी की, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इस पर सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश जोशी और अन्य ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की।
50 साल पुराना धर्मस्थल
इसमें गुहार लगाई कि जिस जमीन को धर्मस्थल बताया जा रहा है, वह सरकारी जमीन है। कुछ साल पहले तक यह जमीन खाली पड़ी थी, लेकिन इस पर कब्जा करने की नीयत से कतिपय लोग वहां टीन शेड डालकर उसे धर्मस्थल साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। धर्मस्थल को 50 साल से ज्यादा पुराना बताया जा रहा है, लेकिन वास्तविकता यह है कि कुछ साल पहले तक यह जमीन खाली पड़ी थी।
कोर्ट ने दिया आदेश
याचिकाकर्ताओं के वकील सीके वर्मा ने बताया कि जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस वीरेंदरसिंह की युगल पीठ ने गुरुवार को जनहित याचिका स्वीकार कर ली। कोर्ट ने मंदसौर कलेक्टर को आदेश दिया है कि वह निर्माण को हटवाएं। कलेक्टर को कार्रवाई कर तीन महीने में पालन प्रतिवेदन प्रिंसपल रजिस्ट्रार के समक्ष प्रस्तुत करना है।