मुंबई। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ सांताक्रुज के प्रांगण में धर्म सभा को साध्वी डॉक्टर स्नेह प्रभा जी ने कहा कि अहिंसा निर्मल मंदाकिनी है जिसकी पवित्र शीतल द्वारा पाप के ताप को नष्ट करती है। अहिंसा वह मेघ धारा है जो भीषण भव रोग को निर्मल कर देती है दुख दानावल को शांत करती है। ऐसा वह जग जननी जगदंबा है जो जगत के जीवों की रक्षा करती है। अहिंसा वह भगवती है जिस की आराधना से जीव निर्भय और सुखी हो सकते हैं जैन धर्म का प्राण और जैन संस्कृति का हृदय है। साधना सदन म 51 गुप्त एकशन हुए। यह जानकारी लोकेश सिंघवी & भावेश लोढ़ा ने दी है।