-लगभग बारह किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री पहुंचे नाहर इंजीनियरिंग परिसर
-नशे का परित्याग कर जीवन को अच्छा बनाने की आचार्यश्री ने दी प्रेरणा
-औद्योगिक इकाई के मालिक व कर्मचारियों ने सामूहिक रूप में स्वीकार किए अहिंसा यात्रा के संकल्प
11.06.2019 नरसापुर, कोलार (कर्नाटक): आदमी जीवन जीने के लिए शरीर धारण करता है और शरीर को चलाने के लिए आदमी को भोजन, पानी करना, समय-समय पर देखभाल, दवा आदि का उपयोग भी करना होता है। एक प्रश्न उठता है कि आखिर को शरीर को क्यों टिकाए रखना चाहिए? इसका शास्त्रकार ने उत्तर देते हुए कहा कि पुराने कर्मों को काटने अर्थात् पूर्वकृत कर्मों को क्षय करने के लिए व धर्म करने के लिए शरीर को टिकाने की आवश्यकता होती है। शरीर को टिकाने के लिए आदमी कितना श्रम करता है। शरीर के लिए नियमित रूप से भोजन ग्रहण करता है, पानी पीता है। शरीर को नहलाता है, अस्वस्थ होने पर दवाओं आदि का सेवन करता है।
आदमी जीवन में नशे में भी चला जाता है। कोई मद्यपान करने लगता है, कोई गुटखा, सिगरेट आदि का सेवन करने लगता है। नशा करना व्यसन होता है। नशा व्यक्ति के दिमाग को भ्रमित कर देता है, उन्मत्त कर देता है। ऐसे में आदमी पापाचार में भी जा सकता है। नशे से शरीर को भी नुक्सान होता है। नशे के कारण आदमी के जीवन में कई प्रकार समस्याएं भी आ सकती हैं। पारिवारिक कलह, स्वास्थ्य में गिरावट आ सकता है। आदमी जो कमाता है, वह भी उसमें गवां देता है। इसलिए आदमी को नशे मुक्त रहने का प्रयास करना चाहिए। नशामुक्त जीवन जीने से आदमी अनेक समस्याओं से मुक्त हो सकता है और उसका जीवन अच्छा बन सकता है। नशा जैसे व्यसनों का त्याग कर आदमी अपने जीवन को सुखी बनाने का प्रयास कर सकता है। आदमी के मन में संकल्प जाग जाए और वह उस पर दृढ़ हो जाए तो उसके जीवन में बदलाव हो सकता है। उक्त पावन पाथेय जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने नरसापुर स्थित नाहर इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड परिसर में मंगलवार को आयोजित प्रातः के मंगल प्रवचन कार्यक्रम के दौरान समुपस्थित श्रद्धालुओं को प्रदान कीं।
इसके पूर्व आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी अहिंसा यात्रा के साथ कोनदराजानहल्ली स्थित श्री नारायणी फंक्शन हाॅल परिसर से मंगल प्रस्थान किया। राष्ट्रीय राजमार्ग पर गतिमान आचार्यश्री महाश्रमणजी के पीछे की ओर उदित सूर्य भी आकाश में गतिमान था। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-75 पर गतिमान अहिंसा यात्रा का कुशल नेतृत्व करते हुए आचार्यश्री आगे बढ़ते जा रहे थे। कर्नाटक की सीमा में प्रवेश के बाद बदले मौसम ने लोगों को सूर्य के ताप से काफी राहत प्रदान की है। साथ ही यहां चलने वाली प्रातः की हवा हल्की सिहरन भी पैदा करने वाली होती है। इस कारण प्रातः का मौसम और अधिक सुहावना हो जाता है। लगभग बारह किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री कोलार जिले के औद्योगिक क्षेत्र नरसापुर में स्थित नाहर इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड परिसर में पधारे। इस प्रतिष्ठान के मालिक व कर्मचारियों आदि ने आचार्यश्री का भावभीना अभिनन्दन किया। तत्पश्चात इस प्रतिष्ठान के परिसर में आयोजित मंगल प्रवचन में आचार्यश्री ने समुपस्थित श्रद्धालुओं को नशा मुक्त जीवन जीने और अपने जीवन को अच्छा बनाने की पावन प्रेरणा प्रदान की।
आचार्यश्री के आह्वान पर समुपस्थित प्रतिष्ठान के मालिक व परिवार वालों के साथ कर्मचारियों ने भी आचार्यश्री के श्रीमुख से अहिंसा यात्रा के तीनों संकल्प स्वीकार किए। उसके उपरान्त प्रतिष्ठान के आॅनर व औरंगाबाद अक्षय तृतीया व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री सुभाष नाहर व मंत्री श्री अनील नाहर ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति श्रीचरणों में अर्पित कर आचार्यश्री से पावन आशीष प्राप्त की।