मुंबई। समण संस्कृति संकाय द्वारा जैन विश्व भारती के तत्वावधान मे मुम्बई स्तरीय जैन विद्या कार्यशाला का आयोजन उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमल कुमारजी स्वामी एवं शासनश्री साध्वीश्री सोमलताजी के सानिध्य में हुआ।जिसमे मुनि श्री और साध्वी श्री जी ने जैन विद्या क्यों जरूरी है पर प्रेरणा प्रदान की।
इस कार्यशाला में M.P. के जैन विद्या प्रभारी सुशिलजी बाफना, पश्चिमाचंल जैन विद्या सह संयोजिका प्रेमलताजी सिसोदिया, महाराष्ट्र प्रभारी विमला डागलिया, मुम्बई की आंचलिक संयोजिका निर्मलाजी नौलखा, अनिताजी सियाल, ममताजी सिंघवी एवं सभी केन्द्र व्यवस्थापक, सह केन्द्र व्यवस्थापक तथा सभी संस्थाओं के पदाधिकारीगण एवं विज्ञ उपाधिधारक, उपासक उपस्थित थे। प्रथम चरण प्रवचन में कार्यक्रम की शुरुआत मंगलाचरण से हुई। अनिताजी सिंयाल ने सभी का स्वागत किया। प्रेमलताजी ने जैन विद्या पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के मुख्यवक्ता सुशीलजी बाफना ने जैन विद्या के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए। मुनिश्री कमल कुमारजी ने अपने प्रवचन में जैन विद्या का अध्ययन क्यों जरूरी है ।इस विषय को स्पष्ट किया ।साध्वीश्री सोमलताजी ने विज्ञ उपाधिधारक के बाद क्या? इस पर अपने विचार व्यक्त किये।
दूसरा चरण स्वागत गीत से शुरू हुआ मेघना आच्छा तथा किरण हिंगड ने विज्ञ उपाधि के अनुभव शेय़र किये। जैन विद्या केंद्र ठाणे के व्यवस्थापक विकासजी आच्छा ने अपने विचार एवं अनुभव व्यक्त किये। जनता की अदालत की तर्ज पर धर्म की अदालत नामक एक प्ले रखा गया। मालाड केंद्र व्यवस्थापिका संगीता चपलोत द्वारा बीच बीच मे प्रश्न उत्तर प्रस्तुत किया गया।
मुम्बई की अध्यक्षा जयश्रीजी बड़ाला ने अपने विचार रखे । तिसरे चरण में सभी केन्द्र व्यवस्थापकों का सम्मान किया गया तथा समस्या समाधान के माध्यम से सभी की सम्याओं का समाधान किया गया। आभार व्यक्त ममताजी सिंघवी ने किया। कुशल संचालन निर्मलाजी नॉलखा ने किया। कार्यक्रम में कंकु देवी, इंद्रा देवी, सीमा धाकड़ एवं श्री तुलसी महाप्रज्ञ फाउंडेशन का पूर्ण सहयोग मिला।
कांदिवली में मुम्बई स्तरीय जैन विद्या कार्यशाला संपन्न
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