इंदौर। मध्य प्रदेश के मंदसौर में बच्ची के साथ गैंगरेप के दोषियों को सेशंस कोर्ट ने मंगलवार को मौत की सजा सुनाई है। जून में हुई दरिंदगी की इस घटना पर पूरे देश में उबाल देखा गया था। मध्य प्रदेश में इस साल अप्रैल में बच्चियों से रेप के मामलों में नया कानून लागू हुआ है। इसके तहत 12 साल से कम उम्र की लड़कियों से रेप के मामलों में फांसी की सजा का प्रावधान है। अप्रैल 2018 से अब तक 8 लोगों को बच्चियों से रेप के जुर्म में फांसी की सजा का ऐलान हो चुका है।
अगस्त में 6वीं फांसी की सजा
मंदसौर गैंगरेप के दोषियों को सजा-ए-मौत के साथ ही वर्ष 2018 के दौरान राज्य में 15वीं फांसी की सजा दी गई है। बच्चियों से रेप और यौन अपराधों के मामलों में इस साल यह अदालत ने 13वीं बार मौत की सजा सुनाई है। 16 अगस्त को एक शादीशुदा महिला से रेप और हत्या के मामले में डेथ पेनल्टी दी गई थी। अकेले अगस्त में 6 मामलों में मौत की सजा का ऐलान हो चुका है। लोक अभियोजन महानिदेशक राजेंद्र कुमार का कहना है, ‘एक महीने में छह डेथ पेनल्टी एक रेकॉर्ड है। इस सफलता का श्रेय अभियोजन पक्ष और पुलिस को जाता है।’
नरपिशाचों के लिए कोई जगह नहीं: शिवराज
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंदसौर गैंगरेप केस में अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, ‘मंदसौर रेप के मामले में सजा के लिए कोर्ट के प्रति आभार व्यक्त करता हूं। वास्तव में इन नरपिशाचों के लिए इस दुनिया में कोई जगह नहीं है। ऐसे मामलों में फांसी की सजा से कम कुछ भी नहीं होना चाहिए। बेटी को न्याय दिलाने के लिए पुलिस, लोक अभियोजक, विशेषज्ञों की टीम ने सराहनीय कार्य किया है।’
#MandsaurRapeVerdict के लिए कोर्ट के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ। वास्तव में इन नरपिशाचों के लिए इस दुनिया में कोई जगह नहीं है। ऐसे मामलों में फांसी की सजा से कम कुछ भी नहीं होना चाहिए। बेटी को न्याय दिलाने के लिए पुलिस, लोक अभियोजक, विशेषज्ञों की टीम ने सराहनीय कार्य किया है।
— ShivrajSingh Chouhan (@ChouhanShivraj) August 21, 2018
तीन हफ्ते ट्रायल, दोनों दोषियों को सजा-ए-मौत
विशेष जज (पॉक्सो) निशा गुप्ता ने गैंगरेप के मामले में दोषी आसिफ और इरफान को मौत की सजा सुनाई। 26 जून को दोनों ने बच्ची को उसके स्कूल से अगवा कर लिया था।। इसके बाद वे बच्ची को किला रोड के पास एक सुनसान इलाके में ले गए। दोनों ने रेप के साथ ही बच्ची के साथ बर्बरता को अंजाम दिया। दोनों दरिदों ने बच्ची का गला काटकर उसे मरणासन्न हालत में छोड़ दिया था लेकिन अस्पताल में चले लंबे इलाज के बाद मासूम की जान बच गई। गले में जानलेवा घातक चोट और फटी आंतों के इलाज के लिए डॉक्टरों ने बच्ची की कई बार सर्जरी की।
35 गवाहों ने दर्ज कराए बयान
सीसीटीवी फुटेज की जांच करने के बाद पुलिस ने वारदात के अगले दिन इरफान को गिरफ्तार किया था, वहीं आसिफ को 29 जून को पकड़ा गया। मुख्यमंत्री के सख्त निर्देशों के बाद पुलिस ने काफी तेजी से जांच पूरी की और फरेंसिक सबूत जुटाए। पुलिस ने अदालत में 95 दस्तावेज और 50 वस्तुएं बतौर सबूत पेश की थीं। इसके अलावा कोर्ट में 35 गवाहों के बयान दर्ज कराए गए।
30 जुलाई को शुरू हुआ मुकदमा
इस मामले में मुकदमे की शुरुआत 30 जुलाई को हुई थी। 8 अगस्त तक अभियोजन पक्ष के सभी गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके थे। 14 अगस्त को इस मामले में अंतिम दलीलें दी गईं। गवाहों में रेप पीड़ित मासूम, उसके परिजन, स्कूल के सहपाठी, पुलिस अधिकारी, फरेंसिक विशेषज्ञ, मेडिकल एक्सपर्ट और स्थानीय लोग शामिल थे।