संगरूर। स्थानीय तेरापंथ सभा भवन में ‘व्रत है मकान की छत’ विषय पर अपने विचार रखते हुए महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती शासन श्री मुनि श्री विजय कुमार जी ने उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं से कहा –
आदमी को रहने के लिए मकान चाहिए। मकान भी छत वाला होना चाहिए। मकान है किंतु अगर छत नहीं है तो उस मकान में कोई नहीं रहना चाहेगा। व्रत को हम जीवन रूपी मकान की छत कह सकते हैं जिसके नीचे रहकर व्यक्ति हर प्रकार के खतरे में स्वयं को सुरक्षित रख लेता है। जिस व्यक्ति के जीवन में कोई व्रत नहीं होता वह कभी भी राह से भटक सकता है जीवन की राह फिसलन भरी है। थोड़ा सा आकर्षण व्यक्ति के मन को विचलित कर सकता है। व्रती व्यक्ति अपने आप को संभाल लेता है, गिरने नहीं देता। वह बहुत सारे अनर्थों से अपने को बचा लेता है। एक व्यक्ति गुरुवर के दर्शन करने आया, बोला – गुरुवर! मैं एक बार इतना तनाव ग्रस्त हो गया कि आत्महत्या तक का चिंतन कर लिया। किंतु संतों से लिए हुए त्याग ने मुझे बचा लिया। भावों में एक वेग आया था, वह निकल गया। अब सारी स्थितियां भी सुधर गई।
शासन श्री जी ने आगे कहा – भगवान महावीर ने श्रावक समुदाय के लिए बारह व्रतों की व्याख्या की । वे जानते थे कि श्रावक गृहवासी है, उसकी बहुत सारी अपेक्षाएं हैं, अनेक प्रकार की पारिवारिक सामाजिक जिम्मेवारियों को उसे निभाना पड़ता है। अतः उन्होंने हर व्रत के साथ कुछ छूट दे दी। हर व्यक्ति व्रत को स्वीकार करते समय अपनी सीमा स्वयं बना लेता है। बांध की सीमा में रहने वाला पानी जिस तरह पीने व सिंचाई के लिए उपयोगी होता है वैसे ही व्रत की सीमा में चलने वाला व्यक्ति परिवार और समाज के लिए उपयोगी सिद्ध होता है। अनेक दुष्कृत्यों से वह स्वयं को बचा लेता है। आज का आदमी खुलावट पसंद करता है, वह व्रत के घेरे में रहना नहीं चाहता किंतु दृष्टिकोण को बदलने की जरूरत है। गमले में डाला हुआ पानी यदि सोचले मैं इस गमले में कैद क्यों रहूं ,तो क्या फूल खिलेंगे। व्रतों की महत्ता को हर व्यक्ति समझे और इन्हें यथाशक्ति स्वीकार करने की कोशिश करें।
कार्यक्रम का प्रारंभ मुनि श्री रमणीय कुमार जी के ‘जय महावीर भगवान’ गीत से हुआ। ज्ञानशाला के बालक – बालिकाओं को तेरापंथी सभा प्रधान अरिहंत जैन द्वारा ज्ञानशाला का किट भेंट किया गया। प्रियंका जैन ने प्रेरक कहानी सुनाई। कल्पना, गरिमा और अनुष्का ने अंग्रेजी वर्णमाला पर कविता प्रस्तुत की। केंद्रीय व्यवस्थापक कुलतारी लालजी जैन ने जैन विद्या परीक्षा के संदर्भ में सभी को प्रेरणा दी।
व्रत है मकान की छतः शासन श्री मुनि श्री विजय कुमार जी
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