मुंबई। मंगलवार, 21 अगस्त को घाटकोपर में समणी डॉ. मल्लिप्रज्ञाजी के सान्निध्य में मुम्बई स्तरीय, रायचंद जॉन द्वारा आयोजित ज्ञानशाला प्रशिक्षक Art Of Teaching Karyshala का सफल आयोजन हुआ। सर्वप्रथम समणीजी द्वारा नमस्कार महामंत्र के उच्चारण के साथ कार्यक्रम की मंगल शुरुआत हुई। मंगलाचरण के रूप में सभी प्रशिक्षकों ने एकसाथ ज्ञानशाला गीत का संगान किया। मुलुंड ज्ञानशाला की प्रशिक्षक निर्मलाजी मेहता ने सभी का स्वागत किया।
इस कार्यशाला में समणीजी ने अपने भावपूर्ण वक्तव्य में बताया कि ज्ञानशाला में बच्चों को प्यार से पढ़ाने के साथ साथ उनके मनोविज्ञान के अनुसार और audio visual के साथ पढ़ाने से बच्चों की ज्ञानशाला में रुचि बढ़ेगी। आमंत्रित वक्ता डॉ. कल्पनाजी खराडे ने गेम और खेल खेल में पढ़ाने की ट्रिक बताई। साथ मे पढ़ाई का सिलेबस प्लान भी बताया। कार्यशाला के मुख्य वक्ता डॉ. सी. पी. गिरीशंकरजी ने बड़े ही प्रभावशाली ढंग से अपने मोटीवेट स्पीच में बताया कि बच्चों में आत्माभिमान, आत्मविश्वाश, आत्मनिर्भरता आये ऐसा प्रयास हरएक पेरेंट्स और टीचर को करना चाहिए।
दोनों स्पीकर का परिचय क्रमशः घाटकोपर प्रशिक्षक रुचिताजी चौधरी और मीनाक्षीजी कुमठ ने दिया। ज्ञानशाला की आंचलिक संयोजिका सुमनजी चपलोत ने ज्ञानशाला के आगामी कार्यक्रमो की जानकारी दी। विभागीय सहसंयोजिका शीतलजी सांखला ने ऑनलाइन quesion-answer में विजेता प्रशिक्षक और ज्ञानार्थियो के नाम घोषित किये व पदाधिकारियों द्वारा सम्मानित किया। बहुआयामी इस कार्यशाला में ज्ञानशाला के लिए बनी सीडी लॉन्च की गई।अंत मे साकीनाका प्रशिक्षक किरणजी लोढ़ा ने आभार व्यक्त किया। इस भव्य कार्यशाला में ज्ञानशाला आंचलिक संयोजिका, सहसंयोजिका, विभागीय संयोजिका, विभागीय सहसंयोजिका के साथ महिलामंडल की राष्ट्रीय ट्रस्टी प्रकाशदेवी तातेड़, मुम्बई महिलामंडल अध्यक्ष जयश्रीजी बड़ाला, ज्ञानशाला की निवर्तमान संयोजिका निर्मलाजी चंडालिया, मुम्बई अणुव्रत समिति के अध्यक्ष रमेशजी चौधरी की विशेष उपस्थिति रही। पूरी मुम्बई से 125 प्रशिक्षक बहनों ने इस कार्यशाला में भाग लिया। इस आयोजन को सफल बनाने में घाटकोपर ज्ञानशाला की सभी टीचर्स के साथ रायचन्द जॉन की टीचर्स का योगदान रहा। पूरे कार्यक्रम का कुशल संचालन घाटकोपर ज्ञानशाला की प्रशिक्षक नीताजी चोरड़िया ने किया।
2018-08-21