मुम्बई। आचार्य महाश्रमण के सु शिष्य मुनि जिनेश कुमार जी अपने सहवर्ती संत परमानंद जी के तेरापंथ भवन कुर्ला पधारने पर स्तानीय लोगो ने दूर तक अगवानी करते हुवे भावभरा स्वागत किया।
इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा जीवन बुढ़ापा रोग मरण से छुटकारा पाने का एकमात्र उपाय धर्म है ,धर्म शांति का राजपथ है ,धर्म आत्मरोहन की प्रतिकिर्या है धर्म मनुष्य के आचरण को प्रसस्त करता है श्रमा मुक्ति आजर्व ,मार्जव , धर्म के द्रार है व्यक्ति धर्म को जीने का प्रयास करे ,जो व्यक्ति धन में डूबा रहता है वो नरक में जाता है ,जो व्यक्ति धर्म मे रत रहता है वो मोक्ष को प्राप्त करता है। व्यक्ति महाव्रती नही बन सके तो व्रती बने ,संत नही बन सकते हो तो शांत बनो, मुनि परमानंद ने कहा संत बिना भेद भाव के सब को ज्ञान बाटते है।
इस अवसर पर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष राजू मेहता अलबेला ने मुनि श्री का स्वागत करते हुवे कहा ,तेरापंथ धर्म संघ के लिए आप एक विरले संत है ,हम सब का सौभाग्य है आज आपका सानिध्य हमे प्राप्त हुवा,संघ के लिए श्रावक श्राविका,समाज के हर वर्ग की सार सबगल करना व हमारे भावो को समझते हुवे हमे सेवा का अवसर प्रदान करना आप की महानता है। स्वागत के इन स्वर में प्रेमलता जी सिसोदिया ,ते यू प के मंत्री निर्मल हिरन ,ट्रस्ट के मंत्री दिनेश चपलोत ने भी अपने विचार रखे।
इस अवसर परअणुव्रत समिति के रमेश जी धोका , चांदमल जी सुतरिया ,संपत जी सिसोदिया सभा मंत्री उतम कोठरी,हस्तीमल जी सुतरिया,जीतू मादरेचा ,विजय हिंगड़ ,प्रवीण सियाल ,भरत चौधरी ,प्रकाश डागलिया ,कांति लाल कोठारी ,मदन राठौड़ ,म मडल से सुनीता सुतरिया ,भावना डागलिया ,कल्पना सांखला ,मधु कोठारी ,आदि उपस्तिथि थे । कार्यक्रम का सफल संचालन मुम्बई सभा के पूर्व मंत्री दिनेश जी सुतरिया ने किया।
संत नही बन सकते हो तो शांत तो बनो: मुनि जिनेश कुमार
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