कालबादेवी । भाग्य और पुरुषार्थ से युक्त ऋषियों के महा ऋषि आचार्य श्री महाश्रमण जी के जन्मोत्सव व पट्टोत्सव का भव्य आयोजन शासन श्री साध्वी कैलाशवतीजी के सानिध्य में रखा गया । शासन श्री साध्वी श्री जी ने कहा “गुरु धर्मोपदेशक:”- गुरु धर्म उपदेशक होते हैं । इस संसार से पार लगाने वाले गुरु होते हैं । भगवान से साक्षात करवाने वाले भी गुरु ही होते हैं । आज हम गुरु महाश्रमणजी का जन्म उत्सव मना रहे हैं । आचार्य श्री का जीवन अनेक विशेषताओं का पुंज है ।आप की परिक्रमा करती हैं संघनिष्ठा, आज्ञानिष्ठा, सेवा समर्पण जैसी महादेवीया ।करुणा का बहता दरिया है महाश्रमण । आचार्य श्री जी हमेशा गुलाब की तरह खिले रहते हैं । कहा जाता है – चंद्र मुखी रात को खिलता है दिन में नहीं , सूर्यमुखी दिन को खिलता है रात को नहीं, अंतर्मुखी हर दम खिलता रहता है क्योंकि उसकी मुस्कान किसी के हाथ में नहीं। ऐसे महाश्रमण अंतरद्रष्टा अंतर्मुखी चिरायु हो, दीर्घायु हो ।
साध्वी पंकज श्री जी ने कहा आचार्य श्री महाश्रमण जी का बचपन भी गरिमामय रहा । आप बालक अवस्था में “मेधावी” छात्रों की लाइन में आते थे । मेधावी वह होता है जो मर्यादावान हो, श्रुत को ग्रहण करता है । दोनों अर्हताओं को आपके जीवन रूपी दर्पण में देखा जा सकता है ।आपका श्रुत ज्ञान प्रबल है, दृढ़ संकल्प के पक्के महापंडित हैं । आपकी सरलता व ऋजुता अपरंपार है । आपकी सरलता का उदाहरण देते हुए साध्वी श्री जी ने आगे कहा – एक बार आचार्य तुलसी ने सब संतो से अपनी इच्छा लिखने के लिए कहा मुनि मुदित ( वर्तमान आचार्य श्री महाश्रमणजी ) लिखते हैं -“मैं तेरा पंथ का आचार्य बनना चाहता हूं।” यह थी आप की ऋजुता । भगवान महावीर ने कहा – “धम्मो सुद्दस्स चिट्ठई” धर्म पवित्र व्यक्ति में ही ठहरता है । पावन पवित्र परम परमात्मा आचार्य श्री महाश्रमण जी के चरणों में वंदन करती हूं । धर्म चक्रवर्ती आचार्य श्री इसी प्रकार धर्म ध्वजा फहराते रहैं । श्रम की बूंदों से सीचते हुए मानव मसीहा अहिंसा यात्रा के महासारथी सद्भावना नैतिकता व नशा मुक्ति की मशाल लेकर 16 राज्यों में प्रवेश कर चुके हैं । साध्वी ललिताश्रीजी ने कहा लंबे समय तक आपकी शासना हमें प्राप्त होती रहे । आप स्वस्थ रहें, निरामय रहे । साध्वी सम्यक्त्वयशा ने अपने विचार व्यक्त किए । मुंबई महिला मंडल की मंत्री श्वेता सुराना, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष रवि दोशी, उपासक बहन सुमन कावडिया, शर्मिला धाकड़, अशोक बरलोटा ने अभिवंदना की बेला में अपने अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी । ज्ञानशाला का छोटे बालक आर्यन ने कविता प्रस्तुत की । सुरेश चंद्र, महिला मंडल कालबादेवी से वंदना व रेखा बरलोटा आदि ने गीतिका के माध्यम से अभिबंदना के स्वस्तिक रचाए । तेरापंथ मुंबई सभा के उपाध्यक्ष गणपत डागलिया,
कुलदीप बैद, पंकज सुराणा,मीठालाल शिशोदिया,रवि दोषी,सुखलाल सिंयाल,नरेंद्र पोरवाल,सुरेश निम्ब्जा,दिनेश धाकड़, महावीर ढेलरिया,आदि
इस मौके पर उपस्थित रहे । दिनेश धाकड़ ने मंगलाचरण किया । प्रोग्राम संचालन करते हुए साध्वी शारदा प्रज्ञा जी ने कहा धर्म दीप की शरण में संयम राहों पर यूं ही महान तपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण की जीवन सरगम के बोल गुनगुनाते रहे । बहुत अच्छी उपस्थिति रही ।
यह जानकारी तेयुप दक्षिण मुंबई के मीडिया प्रभारी नितेश धाकड़ ने दी।
“अर्पित अभिवंदना के बोल – आचार्य श्री महाश्रमण जी के चरणो में”
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