हड्डियों और जोड़ों में लगातार दर्द होना। मुंह, नाक या शौच के दौरान खून का निकलना, बुखार आना, रात में पसीना और चक्कर आना। बार-बार संक्रमण और शरीर का वजन घट रहा है तो आप संजीदा हो जाएं। ये लक्षण दिल की बीमारी नहीं बल्कि ब्लड कैंसर के संकेत हो सकते हैं। सही समय पर इसकी जांच और इलाज से इसे काबू में किया जा सकता है।
शनिवार को पीजीआई के हिमेटोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. सोनिया नित्यानंद ने यंग हिमेटोलाजिस्ट ओरिएंटेशन प्रोग्राम में यह जानकारी दी। कार्यक्रम में विभाग के डॉ. राजेश कश्यप, डॉ. अंशुल श्रीवास्तव और डॉ. संजीव ने देश भर से आए 60 युवा हिमेटोलॉजिस्टों को ब्लड कैंसर के मरीजों के इलाज से जुड़ी नई तकनीक के बारे में जानकारी दी। डॉ. सोनिया नित्यानंद ने बताया कि ब्लड कैंसर कोशिकाओं में उत्परिवर्तन की वजह से शुरू होता है। यह खून या अस्थि मज्जा (बोन मैरो) में होता है।
विशेषज्ञों ने बताया कि इलाज से ठीक न होने की स्थिति में स्टेम सेल का प्रत्यारोपण आखिरी रास्ता होता है। इसमें अस्थि मज्जा से ही स्टेम सेल निकाल कर उसका प्रत्यारोपण किया जाता है। एलोजेनिक बोन मेरो ट्रांसप्लांट में किसी अन्य व्यक्ति के स्वस्थ सेल्स मिला करके रोगी के क्षतिग्रस्त सेल्स से स्थानांतरित कर देते हैं। इसके लिए मरीज के परिवार के किसी सदस्य की सेल्स ली जाती है ताकि मरीज की सेल्स उसकी सेल्स से मेल खा सकें।
डॉ. सोनिया नित्यानंद.
डॉ. सोनिया नित्यानंद ने बताया कि ब्लड कैंसर तीन प्रकार का होता है। इसमें ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और मल्टीपल मायलोमा। ब्लड कैंसर बच्चों से लेकर बड़ों में हो सकता है। अमूमन यह बीमारी 30 साल के बाद ज्यादा होने की संभावना होती है। डॉ. संजीव बताते हैं कि ब्लड कैंसर कई तरह का होता है। इलाज उसके प्रकार पर निर्भर करता है। मुख्यता इलाज में कीमोथेरेपी, टार्गेटेड थेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, बॉयोलॉजिकल थेरेपी और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट थेरेपी दी जाती है। पैथालॉजिस्ट डॉ. पीके गुप्ता बताते हैं कि खून की एक सामान्य जांच से ब्लड कैंसर का पता चल सकता है। इसकी जांच के लिए जनरल ब्लड पिक्चर की जांच की जाती है। इस जांच में ब्लड कैंसर की पुष्टि होने पर इसका शत प्रतिशत इलाज संभव है। विशेषज्ञों ने युवा डाक्टरों को ब्लड कैंसर के इलाज के गुर बताए।
वक्त पर सही इलाज से ठीक हो सकता ब्लड कैंसर
Leave a comment
Leave a comment