सुरभि सलोनी/नई दिल्ली। अपनी बनाई राजनीतिक पार्टी ‘जस्टिस पार्टी’ का 2014 में भाजपा में विलय कर दिल्ली की उत्तर पश्चिम सीट से लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने जाने-माने दलित नेता डॉ. उदितराज इन दिनों बेहद दुखी नजर आ रहे हैं। वे दुखी हैं, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने उनके नाम का अभी तक घोषणा नहीं की है। वर्तमान में उदितराज भाजपा की ओर से दिल्ली की उत्तर पश्चिम सीट से सांसद हैं। सांसद रहने के दौरान कई बार उन्होंने दलित समाज के मुद्दों को संसद में उठाया था।
डॉ. उदितराज ने अपने ट्विटर एकाउंट ‘चौकीदार डॉ. उदितराज, एमपी’ पर सोमवार को लिखा कि ‘मैंने अपनी पार्टी विलय की, पूरे देश से मेरे करोड़ों समर्थक मेरी टिकट को लेकर बेचैन हैं। उत्तर पश्चिम दिल्ली से मेरा नाम अभी तक घोषित नही किया। मेरे समर्थकों ने आज शाम 4 बजे तक इंतज़ार करने को कहा है’।
इससे पहले उन्होंने ट्वीट किया कि @AmitShah जी आपसे कई बार बात करने की कोशिश की sms भी भेजा एवं प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी से भी बात करने की कोशिश की @ManojTiwariMP जी लगातार कहते रहे है कि टिकट मेरा ही होगा,@nsitharaman जी से भी कोशिश की लेकिन बात नही हो सकी & @arunjaitley जी से भी आग्रह किया। इसके एक और ट्वीट करते हुए उदितराज ने कहा कि ‘आखिर में मैं @BJP4India से उम्मीद करता हूं कि वह दलितों को धोका नहीं देगी’।
आखिर में मैं @BJP4India से उम्मीद करता हूं कि वह दलितों को धोका नहीं देगी
— Dr. Udit Raj (@Dr_Uditraj) April 22, 2019
उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी दिल्ली की सात में से 6 सीटों के उम्मीदवारों का घोषणा कर चुकी है जिनमें पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से क्रिकेटर गौतम गंभीर, नई दिल्ली से मीनाक्षी लेखी, चांदनी चौक से डॉ. हर्षवर्धन, दिल्ली उत्तर पूर्व से मनोज तिवारी, पश्चिमी दिल्ली से प्रवेश वर्मा तथा दक्षिण दिल्ली से रमेश विधूड़ी को उम्मीदवार बनाया है, लेकिन अभी तक उत्तर पश्चिम दिल्ली से घोषणा नहीं गई है। इसी वजह से अनुमान लगाया जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी ने डॉ. उदितराज का टिकट काटना लगभग तय कर लिया है, हालांकि उदितराज अभी भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि पार्टी उन्हें टिकट देगी।
उनके ट्वीट के बाद उनसे जुड़े व समाज के तमाम लोगों अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी है। जिनमें से कुछ का कहना है कि ‘जो हो रहा है, तुम्हारे साथ अच्छा हो रहा है। बहुजनो के गद्दार।‘ एक अन्य यूजर ने लिखा कि – पार्टी तो टिकट देने से रही। वैसे भी @Dr_Uditraj आपके तो करोड़ो समर्थक है निर्दलीय लड़ लो निर्दलीय लड़ने से डर क्यों रहे हो। जीत जाओ तो पार्टी में शामिल हो जाना और हार जाओ तो घर बैठ जाना। वैसे में भगवान से आपकी हार के लिए जरूर कामना करूँगा।‘
जबसे उदितराज ने ट्वीट किया है तभी से लोग ट्विटर पर उनकी चुटकी ले रहे हैं। खास बात यह है कि सोशल मीडिया पर दलित समाज के लोग हों या भाजपा समर्थक, कुछ को छोड़ दें तो अधिकतर उनके विरोध में ही लिख रहे हैं। दलित समाज के लोग उन्हें समाज का गद्दार बता रहे हैं तो भाजपा समर्थक बेकार सांसद कहकर उनका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि मोदी लहर में जीत गए थे, लेकिन अब जीतना मुश्किल है। इन सबके बीच उदितराज को टिकट मिलता है कि नहीं, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन एक बात तो तय है कि उदितराज का आगे का रास्ता काफी मुश्किलों भरा होगा। एक तरफ वे अपने मिशन को दांव पर लगाते हुए भाजपा के साथ चले गए जिसकी वजह से उनके तमाम समर्थकों ने उनसे किनारा कर लिया तो वहीं दूसरी तरफ अब पांच साल पूरे होने के बाद भाजपा उनसे अपना पिंड छुड़ाने की कोशिश कर रही है। ऐसे में उन्हें भाजपा ने टिकट दे भी दिया तो उनका जीतना लगभग मुश्किल ही है।