नई दिल्लीे:“सरकारी शिक्षकों की चुनाव में बतौर बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) नियुक्ति पर आने वाले समय में रोक लग सकती है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नीति आयोग को साथ लेकर इस मुद्दे पर चुनाव आयोग से बातचीत शुरू की है। मंत्रालय का प्रस्ताव है कि शिक्षकों की जगह आशा कार्यकर्ताओं को बीएलओ बनाया जाए। हालांकि, इस मामले में कोई भी निर्णय 2019 के आम चुनाव के बाद लिया जाएगा।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने हिन्दुस्तान से बातचीत में कहा कि शिक्षकों की मतदान के दिन ड्यूटी लगने से अधिक फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि यह एक या दो दिन की बात होती है और सामान्यत: स्कूल बंद रहते हैं। इससे बच्चों की पढ़ाई बाधित हो जाती है।
चुनाव ड्यूटी को लेकर स्पष्टता नहीं
पहले किसी भी राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय कार्यक्रमों या अभियानों जैसे पल्स पोलिया अभियान में शिक्षकों की ड्यूटी लगा दी जाती थी। हालांकि, शिक्षा का अधिकार कानून बनने पर तीन मामलों चुनाव, जनगणना और प्राकृतिक आपदा में ही शिक्षकों की गैर-शैक्षणिक नियुक्तियों को अनुमति दी गई। हालांकि, चुनाव ड्यूटी में शिक्षक कितने दिन काम करेंगे इसे लेकर स्पष्टता नहीं है। सामान्यत: विधानसभा चुनावों में छह महीने पहले से ही बीएलओ का प्रशिक्षण शुरू हो जाता है।
सरकारी शिक्षकों की चुनाव में बतौर बूथ लेवल ऑफिसर ड्यूटी नहीं लगेगी
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