मुंबई: मालेगांव ब्लास्ट केस में विशेष लोक अभियोजक रोहिणी सालिआन ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बयान को बेबुनियाद बताया है। उन्होंने कहा है कि एटीएस चीफ हेमंत करकरे अपने काम को लेकर प्रतिबद्ध थे और साध्वी का प्रताड़ना का आरोप सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान टिक नहीं पाया था। रोहिणी ने पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब द्वारा करकरे की हत्या करने से कुछ समय पहले ही उनसे मुलाकात की थी। । उधर, मुंबई पुलिस के पूर्व शीर्ष अधिकारी जूलियो रिबेरो ने कहा है कि करकरे पर अज्ञात दबाव था।
अपनी अंतिम मुलाकात को याद करते हुए उन्होंने कहा,’मैंने उनसे शाम 7 बजे उनके कार्यालय में मुलाकात की थी। मालेगांव केस के स्टेटस पर कुछ बातचीत करने के बाद हम साथ-साथ वहां से चले आए थे। उन्होंने कहा था कि वह अगले दिन मिलेंगे।’ बता दें कि करकरे 1983 बैच के आईपीएस अधिकारी थे और मालेगांव केस की जांच कर रहे थे।
उन्होंने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित, शंकराचार्य स्वामी दयानंद पांडे और अभिनव भारत संस्था के कुछ सदस्यों को अरेस्ट किया था। इन लोगों पर बम बनाने और उसमें विस्फोट कर छह लोगों की हत्या करने का आरोप था। उधर, मुंबई पुलिस के पूर्व अधिकारी जूलियो रिबेरो ने भी करकरे के शहीद होने से पहले उनसे मुलाकात की थी।
रिबेरो ने कहा, ‘वह अज्ञात दबाव में थे। मैंने उनसे कहा था कि आप एक अच्छे हिंदू हैं और जॉब को अपना धर्म समझकर करिए।’ साध्वी के अरेस्ट होने के बाद वरिष्ठ बीजेपी नेता एलके आडवाणी ने तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह से बात की थी और प्रज्ञा ठाकुर को प्रताड़ित नहीं करने के लिए भी कहा था। मनमोहन सिंह ने एटीएस का बचाव किया था।
रिबेरो ने बताया, ‘करकरे इन सब चीजों को लेकर चिंतित थे। मैंने उनसे कहा था कि परेशान नहीं हों क्यों कि मैं आडवाणी को जानता हूं और मैं उनसे बात करूंगा।’ उन्होंने कहा, ‘ पुलिस फोर्स में सभी लोग जानते हैं और किसी ने भी करकरे के खिलाफ उंगली नहीं उठाई थी। उनकी डिपार्टमेंट में अच्छी ख्याति थी।’ उधर, जांच में शामिल रहे एक अधिकारी ने कहा कि करकरे को जांच में निष्पक्ष होने के लिए कहा गया था।
मालेगांव ब्लास्ट केस में हेमंत करकरे पर था अज्ञात दबाव: पूर्व मुंबई पुलिस अधिकारी
Leave a comment
Leave a comment