जॉब हो या जिंदगी कंफर्ट जोन बनना आराम देता है। मगर कभी आपने सोचा है कि ये कंफर्ट जोन आपके आगे बढ़ने के रास्ते में रुकावट तो नहीं बन रहा है। कंफर्ट जोन में रहना हर किसी को अच्छा लगता है। आज जहां हैं, जो कर रहे हैं उसकी सब तारीफ कर रहे हैं और आपके काम से हर कोई संतुष्ट है। यह आदर्श स्थिति है, मगर इसमें लंबे समय तक बने रहने के कई नुकसान हैं, जो आसानी से नजर नहीं आते हैं। इसी पर आधारित है हमारी आज की कहानी। आइए जानते हैं इसके बारे में :
गिद्धों का एक समूह खाने की तलाश में भटक रहा था। उड़ते-उड़ते वे एक टापू पर पहुंच गए। वो जगह उनके लिए स्वर्ग के समान थी। हर तरफ खाने के लिए मेंढक, मछलियां और समुद्री जीव मौजूद थे। दूसरी अच्छी बात यह थी कि वहां इन गिद्धों का शिकार करने वाला कोई जंगली जानवर नहीं था। सबके दिनमौज-मस्ती में बीत रहे थे, लेकिन समूह का सबसे वृद्ध गिद्ध इससे खुश नहीं था। एक दिन वो बोला, भाइयों, हम गिद्ध हैं, हमें हमारी ऊंची उड़ान और अचूक वार करने की ताकत के लिए जाना जाता है, पर जब से हम यहां आए हैं, हर कोई आराम तलब हो गया है। मैंने फैसला किया है कि मैं इस टापू को छोड़ वापस उन पुराने जंगलों में लौट जाऊंगा।
वृद्ध गिद्ध की बात सुन बाकी गिद्ध हंसने लगे। बेचारा वृद्ध गिद्ध अकेले ही वापस लौट गया। कुछ वर्षोंं बाद वृद्ध गिद्ध ने सोचा, क्यों न अपने पुराने साथियों से मिल लिया जाए। जब वो टापू पर पहुंचा तो वहां का दृश्य भयावह था। ज्यादातर गिद्ध मारे जा चुके थे और जो बचे थे वे बुरी तरह घायल थे। ये कैसे हो गया? वृद्ध गिद्ध ने पूछा। कराहते हुए एक घायल गिद्ध बोला, आपके जाने के कुछ महीनों बाद एक बड़ी सी जहाज इस टापू पे आई और चीतों का एक दल यहां छोड़ गयी। चीतों को जब पता चला कि हम सब न ऊंचा उड़ सकते हैं और न अपने पंजों से हमला कर सकते हैं, उन्होंने हमें खाना शुरू कर दिया। बस हम जैसे कुछ घायल गिद्ध ही जिंदा बचे हैं।
हममें से ज्यादातर लोगों के साथ ऐसा होता है कि हम अपने कंफर्ट जोन के इतने आदी हो जाते हैं कि बदलाव के बारे में सोचते ही नहीं। इसकी वजह यही है कि हम अपने आप को अपग्रेड करना छोड़ देते हैं। धीरे-धीरे हम उन चीजों से भी हाथ धो बैठते हैं, जिनकी वजह से कभी हमें जाना जाता था। फिर जब हमारी नौकरी या बिजनेस पे आंच आती है तो हम हालात को दोष देने लगते हैं। हमेशा अपनी काबिलियत, अपनी ताकत को जिंदा रखिए। अपने कौशल, अपने हुनर को और तराशिए, उसपे धूल मत जमने दीजिए।
इस कहानी से कम यह सीख सकते हैं :
अपने मन मुताबिक परिस्थितियां हमारी नया सीखने की राह में रोड़ा भी बन सकती हैं। आदर्श स्थिति हमें आरामतलब बना सकती है, जो जीवन हो या कॅरियर दोनों के लिहाज से अच्छा नहीं है। इस स्थिति से निपटने के लिए हम खुद को कंफर्ट जोन से बाहर निकालने के लिए कुछ न कुछ करते रहना चाहिए।