मुंबई। कीर्तिकुंज आचार्य श्री महाश्रमण की विदुषी शिष्या साशनश्री साध्वी श्री सोमलताजी के सान्निध्य में महाप्रज्ञ हाईस्कूल दक्षिण मुंबई में महावीर जयंती का कार्यक्रम अत्यंत आनंद और उल्लास के साथ मनाया गया। रेखा व रेणु ने मबहावीराष्टक से महावीर की स्तुति की। इस मौके पर शासनश्री साध्वी सोमलताजी ने हृदयस्पर्शी ओजपूर्ण वाणी में कहा – श्रमण भगवान महावीर हमारे आराध्य हैं। आज उनकी 2618वीं जन्म जयंती है। इस पावन प्रसंग पर सभी भाई-बहिन एक गिफ्ट भेंट करेंगे, वह गिफ्ट है – हम आग्रही नहीं अनाग्रही बनेंगे। ‘मैं जैसा कहता हूं वैसा ही करूंगा’। ऐसी विचार धारा न बनाकर बल्कि यह चिंतन रखना चाहिए कि ऐसा भी हो सकता है। साध्वी श्री जी ने महावीर के जीवन दर्शन का उल्लेख करते हुए कहा – महावीर स्वयं संबुद्धचेता थे।
उन्होंने गर्भ में ही माता-पिता को कष्ट नहीं होने देने का संकल्प किया जो हमें संदेश देता है कि माता-पिता की सेवा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे देना चाहिए। उनके जीवन का यह प्रथम संदेश था। दूसरा संदेश था परम पद के राही बनकर भी व्यवहार के धरातल को भी गौण करना। तीसरा संदेश था स्वयं के सेनानी बनने के लिए बाह्य बंधनों के साथ भीतरी बंधनों के चक्रव्यूह को भी तोड़ देना ताकि हम विश्व जगत के सभी प्राणियों के साथ मैत्री का बर्ताव कर सकें।
साध्वी शकुंतला कुमारी जी, साध्वी रक्षितयशाजी ने मधुर स्वर लहरियों से श्रोतागण को भावविभोर कर दिया। साध्वी संचितयशाजी ने अपने विचार प्रस्तुत किए। ज्ञानशाला के बच्चों ने परिसंवाद से महावीर को जन्म दिवस पर बधाईयां दी। महिला मंडल, गुंजन, रेखा, रेणु, सुमा, दिनेश धाकड़, मनोझ झाबक ने सुमधुर गीतों के माध्यम से प्रभु की अर्चना की। यह जानकारी तेयुप दक्षिण मुंबई के मीडिया प्रभारी नितेश धाकड़ ने दी।
महावीर जयंती पर शासनश्री साध्वी सोमलता जी का मंगल संदेश – आग्रही नहीं अनाग्रही बनें
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