नई दिल्ली:उच्चतम न्यायालय छत्तीसगढ़ के कुछ जिलों के वनों में आदिवासियों के घर कथित रूप से गिराये जाने के खिलाफ दायर याचिका पर 23 अप्रैल को सुनवाई के लिये मंगलवार को सहमत हो गया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ को अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने सूचित किया कि गैरकानूनी वनवासियों की बेदखली पर रोक लगाने के शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद रायगढ़ जिले के कलमीपारा में आदिवासियों के घर गिराये जा रहे हैं।
पीठ ने कहा, ”इस पर 23 अप्रैल को सुनवाई की जायेगी।” शीर्ष अदालत ने 13 फरवरी के अपने ही आदेश पर 28 फरवरी को रोक लगा दी थी जिसमें उसने 21 राज्यों को निर्देश दिया था कि वे अपने यहां वन क्षेत्र से उन 11.8 लाख गैरकानूनी वनवासियों को बेदखल करें जिनके दावे प्राधिकारियों ने अस्वीकार कर दिये हैं।
यह आरोप लगाया गया है कि शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद उद्योगपति नवीन जिन्दल, जिन्दल पावर लि और अन्य कंपनियां तथा राजनीतिक व्यक्तियों ने राज्य पुलिस के साथ रायगढ़ और अन्य जिलों में आदिवासियों की झुग्गियां गिराना शुरू कर दिया है। याचिका में यह भी दावा किया गया है कि लोक सभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक दलों के इशारे पर झुग्गियां गिराने का काम रोक दिया गया है और 23 अप्रैल को राज्य में मतदान के बाद यह फिर शुरू हो सकता है।