दुनिया को सत्य और अहिंसा का संदेश देने वाले भगवान महावीर स्वामी का जन्मदिवस चैत्र माह में शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता है। भगवान महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। उन्होंने अहिंसा को सर्वोपरि बताया। जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत दिए। इनमें अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अस्तेय और ब्रह्म्चर्य शामिल हैं। जियो और जीने दो का मूल मंत्र उन्होंने ही दिया।
भगवान महावीर स्वामी का जन्म ऐसे युग में हुआ, जब पशुबलि, हिंसा और जाति-पाति के भेदभाव का अंधविश्वास था। उनका जन्म ईसा से 540 वर्ष पहले कुण्डलपुर में इक्ष्वाकु वंश के राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के यहां हुआ। उनके जन्म से राज्य में विशेष उन्नति हुई और इसी के चलते उनका नाम वर्धमान रखा गया। 30 वर्ष की आयु में भगवान महावीर ने सांसारिक सुखों से नाता तोड़ लिया और वह वर्धमान से भगवान महावीर बन गए। 12 वर्षों की कठिन तपस्या के बाद उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। उनमें क्षमा करने का अद्भुत गुण था। वह कहते थे धर्म मांगने से नहीं, स्वयं धारण करने से मिलता है। जीतने से मिलता है। जीतने के लिए संघर्ष आवश्यक है। समर्पण जरूरी है। भगवान महावीर स्वामी जी को शाल वृक्ष के नीचे वैशाख शुक्ल दशमी के दिन केवल ज्ञान की उपलब्धि हुई। कहा जाता है कि भगवान महावीर ने 72 वर्ष की आयु में कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या को मोक्ष प्राप्त किया।