नई दिल्ली:शीर्ष महिला टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा का मानना है कि भारत ने महिला सशक्तिरण के क्षेत्र में शानदार सुधार किया है, लेकिन इसमें अभी और बहुत कुछ करने की जरूरत है। सानिया ने फिक्की महिला संस्था के 35वें सालाना सत्र के दौरान कहा, “भारत में महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में हम एक लंबा सफर तय कर चुके हैं। लेकिन अभी भी इसमें बहुत कुछ करने की जरूरत है, खासकर खेलों में। खेलों में बहुत सी महिलाएं हैं, खासकर बैडमिंटन और कुश्ती में, इसके बावजूद हमें बहुत कुछ करना है।”
उन्होंने कहा, ”मैं लंबे समय से कह रही हूं कि महिलाओं को पुरूषों के बराबरी इनामी राशि दी जानी चाहिए। यह भेदभाव पूरी दुनिया में सभी खेलों में है। मेरा सवाल है कि हमें यह समझाने की जरूरत क्यों है कि हमें पुरूषों के बराबर पुरस्कार राशि दी जानी चाहिए। मैं ऐसा दिन चाहती हूं कि जब हमें इसे समझाने की जरूरत ही नहीं पड़े।” सानिया ने कहा, “मेरी अफसोस केवल इस बात को लेकर है कि एक टेनिस खिलाड़ी होने के नाते देश में मैं क्रिकेट से प्यार करती हूं। एक मां होने के नाते मुझे एहसास हुआ है कि मेरे अंदर निस्वार्थ प्रेम है। इसने मुझे एक बेहतर इंसान बनाया है।”
युगल और मिश्रित युगल में ग्रैंडस्लैम खिताब जीतने वाली भारत की पहली महिला टेनिस खिलाड़ी सानिया ने कहा कि एमसी मैरीकॉम, सायना नेहवाल और पीवी सिंधु जैसी खिलाड़ियों ने देश को गौरवान्वित किया है लेकिन अब भी खेलों में भेदभाव होता है।
सानिया ने कहा, ”आज हम कम से कम 10 सुपरस्टार महिला खिलाड़ियों का नाम गिना सकते हैं जैसे सायना नेहवाल, पीवी सिंधु, मैरीकॉम, दीपा करमाकर और साक्षी मलिक। लेकिन 10 साल पहले ऐसा नहीं कर सकते थे। इसलिए हमने खेलों में महिला सशक्तिकरण के मामले में काफी लंबा सफर तय किया है लेकिन अब भी खेलों में महिलाओं के लिए काफी कुछ किए जाने की जरूरत है।