नई दिल्ली:लोकसभा चुनावों के लिए प्रचार के दौरान कई बार नेताओं की जुबान मर्यादा की सीमा लांघ रही है। हालांकि, चुनाव आयोग की ओर से कड़ाई से आचार संहिता के पालन का निर्देश बार-बार दिया जाता रहा है। गुरुवार को आयोग ने उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ और बीएसपी सुप्रीमो को उनके बयानों पर नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांगा है। दोनों ही नेताओं के बयानों के सांप्रदायिक होने का आरोप है और इस पर आयोग ने संज्ञान लिया।
मायावती ने मुसलमानों से की थी अपील
बता दें कि मायावती ने मुसलमानों से एसपी-बीएसपी गठबंधन के पक्ष में वोट देने की अपील की थी और कहा था कि अगर वे कांग्रेस को वोट देंगे तो इससे उनका वोट बंट जाएगा। मायावती ने कहा था, ‘मैं एक खुली अपील करना चाहती हूं। बीजेपी से कांग्रेस नहीं, बल्कि गठबंधन लड़ रहा है। कांग्रेस चाहती है कि गठबंधन की जीत न हो। कांग्रेस इस चुनाव में बीजेपी की मदद करने की कोशिश कर रही है।’
उत्तर प्रदेश के सीएम ने अली-बजरंगबली बयान दिया था
मेरठ में चुनाव प्रचार के दौरान 9 अप्रैल को सीएम योगी आदित्यनाथ के दिए भाषण पर आयोग ने नोटिस भेजा है। चुनाव प्रचार के दौरान आदित्यनाथ ने कहा था, ‘एसपी-बीएसपी को अली में यकीन है। हमें भी यकीन है बजरंगबली में।’
शुक्रवार शाम तक बयान पर स्पष्टीकरण मांगा
चुनाव आयोग ने प्राथमिक जांच के बाद योगी आदित्यनाथ के बयान को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना और नोटिस जारी कर शुक्रवार की शाम तक जवाब दाखिल करने को समय दिया है। बीएसपी सुप्रीमो को भी शुक्रवार तक अपने बयान की सफाई का मौका दिया गया है। आयोग ने मायावती को चुनाव कोड के उल्लंघन का दोषी मानने के साथ ही सेक्शन 123 (3) के तहत जनप्रतिनिधि कानून 1951 के उल्लंघन का भी दोषी माना। इस कानून के तहहत उम्मीदवार धार्मिक आधार पर मतदान की मांग नहीं कर सकते न मतदाताओं को धर्म के आधार पर मतदान के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
योगी को आयोग का यह दूसरा नोटिस
आयोग के सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के सीएम को यह दूसरा नोटिस जारी किया गया है। इससे पहले उन्हें मोदीजी की सेना कहने के लिए आयोग ने चेतावनी देते हुए भविष्य में अतिरिक्त सतर्कता बरतने की हिदायत दी थी।
मायावती और योगी के बयान पर चुनाव आयोग सख्त, भेजा नोटिस
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