मुंबई:शिवसेना ने बुधवार को बीजेपी के घोषणापत्र की प्रशंसा करते हुए इसे 100 में से 200 अंक दिया है, जिसमें जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करने और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करने का वादा किया गया है। केंद्र और महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने कहा कि देश की अखंडता से समझौता नहीं किया जा सकता है और 2019 राम मंदिर निर्माण का आखिरी मौका है।
पार्टी ने कहा कि समान नागरिक संहिता और अनुच्छेद 370 से समझौता करने वालों को इतिहास माफ नहीं करेगा। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना के संपादकीय में कहा, भाजपा का संकल्प पत्र राष्ट्र की भावनाओं को समाहित करता है। यहां तक कि शिवसेना की मांगों को भी इसमें शामिल किया गया है। इसलिए हम घोषणापत्र को 100 में से 200 अंक देते हैं।
पार्टी ने नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की आलोचना की, जिन्होंने धमकी दी है कि अगर अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया जाता है, तो भारत से जम्मू-कश्मीर अलग हो जाएगा और राज्य के लिए एक अलग प्रधानमंत्री बनाने का भी सुझाव दिया।
संपादकीय में पार्टी ने कड़ी टिप्पणी करते हुये कहा, ‘ऐसे लोगों का मुंह बंद करने की जरूरत है… डॉ. (फारूक) अब्दुल्ला ने यहां तक धमकी दी है कि अगर राज्य का विशेष दर्जा रद्द कर दिया जाता है, तो वे देखेंगे कि कौन वहां भारतीय ध्वज फहराता है। ऐसे लोगों की जबान काटने की जरूरत है।’
उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली पार्टी ने कहा कि वह मंगलवार को महाराष्ट्र के लातूर जिले में एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भावनात्मक अपील से सहमत हैं कि लोगों को पाकिस्तान पर हमला करने वाले बहादुर जवानों के प्रति सम्मान के तौर पर भाजपा को वोट देना चाहिए। संपादकीय में कृषि, गरीबी, छोटे व्यापारियों और शिक्षा जैसे मुद्दों को महत्व देने के लिए भी भाजपा के घोषणा पत्र की जमकर सराहना की गई।
शिवसेना ने कहा कि प्रधानमंत्री ने गरीबी मिटाने का मंत्र दिया है और साथ ही, राम मंदिर और अनुच्छेद 370 को खत्म करने जैसे मुद्दों को भी विशेष महत्व दिया है। लोकसभा चुनावों के लिए जारी किये गये भाजपा के घोषणापत्र में घुसपैठियों को बाहर निकालने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में एनआरसी लाने और आतंक के प्रति जीरो टॉलरेंस का वादा किया गया है। इसमें अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण और अनुच्छेद 370 और 35ए को खत्म करने जैसे पार्टी के पुराने रुख को भी दोहराया गया है।