मुंबई। साध्वी श्री आणिमाश्रीजी एवं साध्वी मंगलप्रज्ञा जी के सांनिध्य में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद का उपक्रम जैन विद्या कार्यशाला का आयोजन दक्षिण तेरापंथ मुंबई युवक परिषद द्वारा महाप्रज्ञ पब्लिक स्कूल में किया गया। इस कार्यशाला में जीव- अजीव पुस्तक के 14 वे से 25 वे अध्याय तक का सांगोपांग विवेचन साध्वी सुधाप्रभाजी ने किया। साध्वी श्री आणिमाश्रीजी ने अपने उदबोधन में कहा बन्धन मुक्ति की दिशा में किया जाने वाला पुरुषार्थ व्यक्ति को आत्म स्वातन्त्र्य प्राप्त करवा देता है, जो कि मनुष्य को सर्वाधिक प्रिय है। मोह ,माया ,तृष्णा, कामना आदि के व्यूह में फंसी चेतना कभी मुक्ति का वर्णन नही कर सकती । ये संसार के क्षणिक राग रंग अंतर चेतना को जब मुग्ध करते रहेंगे। तब तक मुक्ति की प्राप्ति तो दूर उस तक पहुंचने का पथ भी उपलब्ध नही हो सकता । इंन्द्रियों की विषयानुभूति में रमण करना ही सबसे सुक्ष्म और जटिल बन्धन है। इस बन्धन को तोड़ना ही परम पुरुषार्थ है। तत्वज्ञान एक ऐसा आलम्बन है, जिसे समझकर हम बंधन मुक्ति की ओर अहंकार हो सकते है। जीव अजीव तत्वज्ञान की पृष्ठभूमि है। इसे समझे एवं जीवन को आध्यात्मिक उन्मेष का पथ दे। साध्वी सुधाप्रभाजी का तत्वज्ञान में अच्छा क्षयोपशम है। समझने की कला में निष्पात है। संभागी इनकी प्रशिक्षण शैली से खुश है। और अपना विकास करते रहे मंगलकामना। साध्वी मंगलप्रज्ञा जी ने मंगल पाथेय प्रदान करते हुए संभागियों को तत्वज्ञान में निपुण बनकर जीवन को नई दिशा देनी की प्रेरणा दी। साध्वी सुधाप्रभाजी ने कहा ज्ञ. प्रज्ञा व प्रत्याख्यान प्रज्ञा का वर्णन आगमो में उपलब्ध होता है। हम तत्व को जाने उसके बाद हमे पदार्थों को छोड़ने की दिशा में आगे बढ़े। मै साध्वी श्रीजी के प्रति अत्यंत कृतज्ञता ज्ञापित करती हूं। कि आपने मुझे यह अवसर प्रदान किया। मै तत्वज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ना यही अंतर अभिलाषा है। साध्वी मैत्रीप्रभा जी ने अपने विचारों की प्रस्तुति दी। तेयुप मंत्री धनपत , रणजीत सेठिया, अशोक बरलोटा, विमल गादिया, ललिता सेठिया, बिनल बरलोटा, मोनिका जैन , मेनिका डागलिया, सुजीत जवेरी, आदि ने अपने भाव सुनाए एवं सुंदर प्रशिक्षण के लिए साध्वी श्रीजी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की इस कार्यशाला को निरन्तर रखने की भावना व्यक्त की। यह जानकारी नितेश धाकड़ ने दी।